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अनगिनत माइनस से लबरेज़ A++ यूनिवर्सिटी, खामियों के बाद भी कॉलेजों को संबद्धता का काला कारनामा

जब कोई छात्र किसी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेता है या उससे सम्बन्धित कॉलेज में प्रवेश लेता है तो NAAC ग्रेड का उस छात्र को प्रभावित करता है

अनगिनत माइनस से लबरेज़ A++ यूनिवर्सिटी, खामियों के बाद भी कॉलेजों को संबद्धता का काला कारनामा
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गजेंद्र इंगले
ग्वालियर: जब कोई छात्र किसी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेता है या उससे सम्बन्धित कॉलेज में प्रवेश लेता है तो NAAC ग्रेड का उस छात्र को प्रभावित करता है। लेकिन इस तरह की ग्रेड केवल एक छलावा होता है इसका उदाहरण है ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी जो सिंधिया परिवार के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के नाम से जानी जाती है। अभी हाल ही में NAAC द्वारा इस यूनिवर्सिटी को A++ के ग्रेड दी गई। लेकिन इस विश्वविद्यालय की कारगुज़ारी जस के तस रही। अभी हाल ही में कॉलेजों को सम्बन्ध ता देने के मामले में यहां के आला अफसरों ने सारे नियम ताक पर रख दिए। इस मामले में जीवाजी के अफसरान व कार्य परिषद सदस्यों के बीच अब तलवारें खींची हुई हैं। दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
अंचल में कई ऐसे कॉलेज पाए गए जिनके पास न भवन है न शिक्षक। इनकी रिपोर्ट नेगेटिव थी। कमेटी ने इन कॉलेज को संबद्धता नहीं देने की अनुशंसा की थी। स्थाई समिति के सदस्यों ने कमेटी की अनुशंसा मान्य करते हुए ऐसे कॉलेजों को सम्बद्धता नहीं दी। वहीं कई बीएड कॉलेज ऐसे थे, जिनकी निरीक्षण रिपोर्ट में कमेटी के संयोजक प्रोफेसरों ने स्पष्ट अनुशंसा नहीं की है।
रिपोर्ट में 'हां या ना स्पष्ट रूप से नहीं लिखने से स्थायी समिति में ऐसे बीएड कॉलेजों की संबद्धता को लेकर सदस्यों के बीच असमजस्य की स्थिति बनी रही। अंत में सदस्यों ने खामियों को दरकिनार कर महाविद्यालयों को सम्बद्धता दे दी। यहां बता दें कि स्थाई समिति की बैठक में 197 महाविद्यालयों की निरीक्षण रिपोर्ट को रखा गया। उसमें से सिर्फ तीन को छोड़ सभी को बीएड कोर्स के लिए सम्बद्धता प्रदान कर दी।
कॉलेजों के लिए कुछ नियम बनाए गए थे जिनको ज्यादातर कॉलेजों ने पूरा नहीं किया। अधिकांश महाविद्यालय संचालक बैंक स्टेटमेंट नहीं दे सके। प्राचार्यों की 28/17 में नियुक्ति की चयन समिति की रिपोर्ट तो पेश की लेकिन अपॉइनमेंट लेटर नहीं थे। किस महाविद्यालय में शिक्षक मिले या नहीं मिले इसका जिक्र मिनिटस में नहीं है। बैठक में रखे प्रस्ताव में अधिकाशं 28/17 की नियुक्तियों में कार्यपरिषद से एप्रुव नहीं लिया।
जब इन कॉलेजों को मान्यता दे दी गई। तो कॉलेजों से लेन देन व कार्य परिषद सदस्यों के खरीद फरोख्त की चर्चाएं होने लगी। इस विवाद में जब कार्य परिषद सदस्य अपनी किरकिरी होती देख रहे थे तो उन्होंने तुरन्त यूनिवर्सिटी के कुलपति के विरूद्ध स्टैंड लिया और अगली है मीटिंग को छोड़ धरने पर पहुंचे जहां। कुलपति द्वारा जांच के आश्वासन पर दस मिनिट में ही अभी सदस्य धरने से उठ गए।
लेकिन कुछ घंटे बाद ही जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलपति रजिस्ट्रार व रेक्तर ने जनरल कोर्स के 203 कॉलेजों को कार्य परिषद सदस्यों के अनुपस्थिति में ही संबद्धता देदी। इसको लेकर कार्य परिषद सदस्य और भड़क गए। उनका कहना था कि अनियमितताओं पर अंकुश के लिए ही राज्यपाल द्वारा कार्य परिषद सदस्य नियुक्त किए जाते हैं।
लेकिन यूनिवर्सिटी के कुलपति रजिस्ट्रार व रैक्टर कार्य परिषद के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। कार्य परिषद सदस्य विवेक भदौरिया ने देशबन्धु संवाददाता को बताया कि कॉलेजों से शिक्षकों के प्रमाण के रूप में व कई अन्य साक्ष संबद्धता के लिए निर्धारित मापदंड थे, फिर अचानक यूनिवर्सिटी ने खामियों के बाद भी कॉलेजों को मान्यता दे दी। कार्य परिषद सदस्य एसएस राठौर ने कहा कि जीवाजी यूनिवर्सिटी को भ्रष्टाचार का गढ़ नहीं बनने देंगे।
राज्यपाल को मामले की शिकायत करेंगे। यह कृत्य यूनिवर्सिटी के A++ ग्रेड पर दाग है। एक अन्य सदस्य संजय यादव ने फोन पर बताया कि इन सब मामलों में भ कभी नहीं पड़े उनकी तबियत बहुत खराब है। यहां बड़ा प्रश्न यह है कि पहले 197 कॉलेज के संबंध ता के मामले में तो कार्य परिषद सदस्यों पर लेन देन के आरोप लगे, लेकिन बाद में 203 कॉलेजों को खामियों के बाबजूद कार्य परिषद सदस्यों के अनुपस्थिति में सम्बन्धता देने में किसने गड़बड़झाला किया है इसका दोषी कौन है?
आपको बता दें कि यूनिवर्सिटी के कुलपति अविनाश तिवारी और कुछ कार्य परिषद सदस्य आरएसएस से सम्बन्ध रखते हैं। अब लेन देन के आरोप लगने के बाद हर तरफ खलबली मची हुई है। इस मामले मै कुलपति अविनाश तिवारी की राय जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया, इसलिए उनका मत इस मामले में स्पष्ट नहीं हो सका। यूनिवर्सिटी को A++ ग्रेड मिलने की वाहवाही के बाद अब इस तरह की अनियमितताओं से यूनिवर्सिटी की साख पर बट्टा लग रहा है।
खामियों से लबरेज़ यह कॉलेज अब छात्रों को किस स्तर की शिक्षा देंगे और किस तरह का कुशल युवा देश को मिलने वाला है आप अच्छे से समझ सकते हैं। ऐसे कॉलेज शिक्षा की बजाय केवल डिग्री प्रोवाइडर सेंटर बन कर रह जाते हैं। खामियों के बाद भी दी गई सम्बन्ध ता का मामला अभी भी गरम है। देखना होगा कि A++ जीवाजी यूनिवर्सिटी इस बदनामी के डबल माइनस से केसे उबरती है?


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