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बंदरों के आतंक से गई एक सिपाही की जान

बुलंदशहर में बंदरो का आतंक किस हद तक फैला है इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि यहां बंदर के हमले के डर के कारण एक सिपाही को जान गवानी पड़ी

बंदरों के आतंक से गई एक सिपाही की जान
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- सुरेन्द्र सिंह भाटी

बुलंदशहर में बंदरो का आतंक किस हद तक फैला है इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि यहां बंदर के हमले के डर के कारण एक सिपाही को जान गवानी पड़ी। मंगलवार को कांस्टेबल लाल सिंह पुलिस लाइन में स्थित अपने आवास की छत पर कपड़े सुखाने गया था जबकि बंदर के हमले से बचते वक्त कांस्टेबल लाल सिंह छत से गिर गया। घायल को कांस्टेबल ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां -उपचार के दौरान आज सिपाही की मौत हो गई।

बता दें कि हादसे का शिकार होने वाले लाल सिंह बलिया ज़िले के रेवती थाना क्षेत्र के गांव गोपालपुर के मूल निवासी थे जबकि वह 1992 में पुलिस में भर्ती हुए थे। फिलहाल लाल सिंह बुलन्दशहर पुलिस लाइन में तैनात थे जबकि वह मंगलवार को अपनी छत पर कपड़े सुखाने गए थे।


गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं जब बंदरो के आतंक के चलते किसी को जान गवानी पड़ी हो, इससे पहले भी बुलंदशहर सिटी के डीएम कॉलोनी रोड पर एक महिला को बंदर के हमले से बचते वक्त सड़क हादसे का शिकार होकर जान गवानी पड़ी थी। जबकि सिटी के ही कृष्णा नगर में शख्श की बंदर के हमले से बचने के कारण मौत हुई थी।


इसके अलावा भी जनपद भर से ऐसी खबरें सामने आती हैं जिसमें लोग बंदरो के हमले से बचने के चक्कर मे हादसे का शिकार हो जाते हैं। मग़र हैरानी की बात ये है कि जिम्मदारों का ना तो इस ओर कोई ध्यान है और ना ही बंदरों की धरपकड़ के लिए उनकी ओर कोई ठोस क़दम उठाया जाता है। एसएसपी स्लोक कुमार सहित पुलिस कर्मियों ने पुलिस लाइन में मृतक लाल सिंह को दी भावभीनी अंतिम विदाई।


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