Top
Begin typing your search above and press return to search.

युद्ध के साए में दिखावे का जी-7

कनाडा के कनानास्किस में जी-7 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पहुंच चुके हैं, हालांकि उन के पहुंचने से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप वहां से रवाना हो चुके थे

युद्ध के साए में दिखावे का जी-7
X

कनाडा के कनानास्किस में जी-7 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पहुंच चुके हैं, हालांकि उन के पहुंचने से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप वहां से रवाना हो चुके थे। ये बात श्री मोदी के लिए राहत की है क्योंकि अब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के दावे को लेकर ट्रंप से कोई चर्चा नहीं होगी। ट्रंप इस बात को कम से कम 14 बार कह चुके हैं। ऐसे में अगर श्री मोदी ट्रंप से मिलते और इस बारे में सवाल नहीं करते तब देश में उनकी काफी आलोचना होती। तो इसलिए एक तरह से उन के लिए ये राहत ही है कि वे ट्रंप के साथ किसी अप्रिय स्थिति में उलझने से बच गए।

उधर ट्रंप के जल्दी निकल जाने पर भी विवाद खड़ा हो ही गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि मध्य पूर्व में युद्ध विराम सुनिश्चित करने के लिए ट्रंप वापस गए हैं, जो सकारात्मक पहल है। लेकिन ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दिए अपने जवाब में मैंक्रो को गलत बताते हुए लिखा, 'प्रचार चाहने वाले इमैनुएल मैंक्रो ने गलती से कहा कि मैं कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन छोड़कर वापस वाशिंगटन डीसी जा रहा हूं ताकि इजरायल-ईरान के बीच 'युद्ध विराम' पर काम कर सकूं। गलत! उन्हें नहीं पता कि मैं अब वाशिंगटन क्यों जा रहा हूं, लेकिन इसका निश्चित रूप से युद्ध विराम से कोई लेना-देना नहीं है। इससे कहीं ज्यादा बड़ा। चाहे जानबूझ कर हो या अनजाने में, इमैनुएल हमेशा गलत ही बोलते हैं। देखते रहिए!'

ट्रंप के इस बयान से संकेत मिल रहे हैं कि इजरायल-ईरान युद्ध में अब अमेरिका भी सीधा हिस्सा बन सकता है। वैसे इस बार जी-7 का एजेंडा मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए पूरी तरह विफल नजर आ रहा है। इस बार बैठक के एजेंडे में वैश्विक शांति और सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, विकास और डिजिटल विकासशील जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी है। लेकिन एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी है, इजरायल ने गज़ा में कत्लेआम मचाया है और अब ईरान के साथ भी जंग छेड़ दी है। इस बैठक की शुरुआत करते हुए कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने कहा था कि, आज हम जिस वक्त जी-7 मीटिंग कर रहे हैं तब दुनिया में काफी हलचल है। देश बंटे हुए हैं। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान, यूनाइटेड किंगडम और इटली के नेता एक साथ बैठे हैं। दुनिया हमारी तरफ देख रही है। अगले दो दिन हम खुलकर चर्चा करेंगे।

लेकिन जिस तरह ट्रंप पहले चले गए, मैक्रों उन पर तंज कस रहे हैं, उससे नजर आ रहा है कि बैठक में न खुलकर चर्चा हो रही है, न सदस्य देशों में एकता दिखाई दे रही है। वैसे जी-7 नेताओं ने इजरायल और ईरान के हालात पर जो बयान जारी किया है, उसमें कहा है कि च्च्हम, जी-7 के नेता, मध्य-पूर्व में शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। जी-7 नेताओं ने कहा है कि 'इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है, इस बयान में ईरान को 'क्षेत्रीय अस्थिरता और आतंक का असल स्रोत' कहा गया है। जी-7 नेताओं ने कहा, 'हम लगातार कहते रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार कभी हासिल नहीं कर सकता है। ईरानी संकट के समाधान से मध्य-पूर्व में युद्ध की स्थिति में व्यापक कमी आएगी, जिसमें ग़ज़ा में युद्धविराम भी शामिल है।'

इस बयान को गौर से देखें तो झोल ही झोल नजर आएगा। एक तरफ जी-7 शांति की बात करता है, दूसरी तरफ दो देशों से युद्ध कर रहे इजरायल का साथ दे रहा है और कह रहा है कि इजरायल को रक्षा का अधिकार है। अब सवाल ये है कि अगर इजरायल को रक्षा का अधिकार है, तो वही अधिकार ईरान या फिलीस्तीन को क्यों नहीं है। ईरानी संकट के समाधान की बात जी-7 कर रहा है, यानी सीधे-सीधे ईरान को घुटने टेकने की नसीहत दे रहा है और इसे गज़ा के युद्ध विराम से जोड़ने का दिखावा कर रहा है। अगर जी-7 को वैश्विक शांति की इतनी ही चिंता थी तो अब तक इजरायल को गज़ा को तबाह करने से क्यों नहीं रोका गया।

जी-7 के देशों को शायद यह गुमान है कि उनके पास दुनिया की जीडीपी का 28.4 प्रतिशत हिस्सा है तो वह सारे देशों को अपने मुताबिक नचा सकता है। लेकिन ये समूह आपस में ही बिखरा हुआ दिख रहा है। ट्रंप की तरफ से शुरु किए गए टैरिफ युद्ध की चपेट में दुनिया के कई देश आ चुके हैं। ट्रंप अब भी अपनी टैरिफ नीति से पीछे हटने तैयार नहीं हैं, ऐसे में कई देश खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। इनमें फ्रांस, इटली जैसे देश तो जी-7 के सदस्य ही हैं। वैसे ट्रंप ने जी-7 की अहमियत को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े किए हैं, 2020 में वे इस समूह को आउटडेटेड बता चुके हैं। और अब उन्होंने कहा कि 2014 में रूस को जी-7 से निकालना गलत था, जिससे दुनिया अस्थिर हुई। इसके लिए ट्रंप ने बराक ओबामा और जस्टिन ट्रूडो को जिम्मेदार बताया है।

ट्रंप तो पहले भी अपने पूर्ववर्ती शासकों की सार्वजनिक आलोचना कर चुके हैं, लेकिन मार्क कार्नी के लिए भी उन्होंने अजीब हालात बना दिए हैं, क्योंकि कार्नी का ध्यान इस समय रिश्तों को सुधारने पर है। भारत को आमंत्रित करने के पीछे भी यही कारण बताया गया है, क्योंकि निज्जर हत्याकांड के बाद से कनाडा-भारत के संबंध बिगड़ गए थे। हालांकि अब भी नरेन्द्र मोदी का विरोध कनाडा में हो रहा है। इसके अलावा आतंकवाद, पर्यावरण को नुकसान, कमजोर देशों पर आक्रमण जैसे कई मुद्दों पर जी-7 के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कनाडाई न्यूज चैनल के मुताबिक, कनानास्किस के सीनियर पुलिस ऑफिसर डेविड हॉल ने कहा है कि प्रदर्शन के लिए 3 जोन तय किए गए हैं, जहां से विरोध प्रदर्शन जी-7 में शामिल हो रहे नेताओं को लाइव दिखाया जाएगा।'

दरअसल, कनाडा सरकार 'शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट' को जनता का अधिकार बताती है। इससे पहले भी भारत के ऐतराज के बावजूद कनाडा ने भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी। यानी नरेन्द्र मोदी को अच्छा लगे या बुरा, कनाडा में उनके खिलाफ प्रदर्शन होने दिए जाएंगे।

कुल मिलाकर युद्धों के साए में 2025 की जी-7 की बैठक से कुछ खास हासिल होने की उम्मीद नहीं दिख रही है, क्योंकि सभी देश पहले अपनी स्वार्थपूर्ति में लगे हैं, दुनिया के बारे में सोचने का केवल दिखावा ही हो रहा है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it