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दिल्ली में फिर शुरू होगी वाहनों की विषम-सम योजना!​​​​​

सर्दी से पहले दिल्ली और एनसीआर की हवा की गुणवत्ता खराबा होती जा रही है इसलिए दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह राजधानी में विषम-सम योजना को फिर से लागू कर सकती है

दिल्ली में फिर शुरू होगी वाहनों की विषम-सम योजना!​​​​​
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नई दिल्ली। सर्दी से पहले दिल्ली और एनसीआर की हवा की गुणवत्ता खराबा होती जा रही है इसलिए दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह राजधानी में विषम-सम योजना को फिर से लागू कर सकती है। दिल्ली परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने गुरुवार को लिखे एक पत्र में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) को विषम-सम योजना के कार्यान्वयन के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए।

इस योजना के अंतर्गत विषम नंबर से पंजीकृत निजी वाहन विषम दिनांक वाले दिन चलेंगी और सम नंबर वाले वाहन सम दिनांक वाले दिन चलेंगी। सप्ताहांत और सार्वजनिक छुट्टियों के दिन यह योजना लागू नहीं होगी। मंत्री ने डीटीसी को बसों/कंडक्टर का प्रबंध करने के लिए भी कार्य योजना तैयार करने और उसको सात दिन के भीतर जमा करने का निर्देश दिया। पत्र में लिखा गया, दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण सरकार को विषम-सम योजना समेत कई आपातकालीन उपायों को लागू करना पड़ सकता है। पत्र में आगे लिखा गया, इसलिए, यह आवश्यक है कि परिवहन विभाग/ डीटीसी/ डीआईएमटीएस इस योजना की घोषणा के वक्त इसके कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह तैयार रहें।

चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) को लागू करने का अधिकार रखने वाले पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह आवश्यकता पड़ने पर 'सम-विषम' योजना लागू करने, कारों को सड़कों पर नहीं चलने का आदेश देने और स्कूलों को बंद करने का आदेश देने से हिचकेगा नहीं। ईपीसीए को सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्त किया है।

जीआरपीए को नवंबर 2016 में न्यायालय के आदेश के बाद केंद्र ने इस साल जनवरी में अधिसूचित किया था। ईपीसीए वायु प्रदूषण स्तर के 'बहुत खराब' और 'गंभीर' श्रेणियों पर पहुंचने के बाद बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र एवं ईंट भट्टों को बंद करने और जनरेटरों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कदम पहले ही उठा चुका है। दिल्ली-एनसीआर की 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित जगहों की पहचान की है जिसमें दिल्ली का आनंद विहार, राजस्थान के भिवाड़ी, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद व नोएडा सेक्टर-125 और हरियाणा के फरीदाबाद शामिल हैं। गौरतलब है कि मेडिकल जर्नल द लान्सेट की एक स्टडी में सामने आया है कि 2015 में दुनिया भर में प्रदूषण से लगभग 90 लाख लोगों की मौत हुई थी। जिनमें से 25 लाख मौतें अकेले भारत में हुई थीं।


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