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गज़़लों की एक यादगार शाम

तेज रफ्तार जि़ंदगी की जद्दोजहद में तेजी से सब कुछ बदल रहा है। फैशन, जीवन शैली,  सोच, संस्कार, कला संस्कृति, गीत-संगीत और आत्मीय मंथन जैसे सब बदल गया है

गज़़लों की एक यादगार शाम
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नई दिल्ली। तेज रफ्तार जि़ंदगी की जद्दोजहद में तेजी से सब कुछ बदल रहा है। फैशन, जीवन शैली, सोच, संस्कार, कला संस्कृति, गीत-संगीत और आत्मीय मंथन जैसे सब बदल गया है। आधुनिक दुनिया के बदले अहसास में संगीत आज भी सुकून देता है और गजलों की शाम यह खूब दिखा। दिग्गज शायरों, गजलकारों और संवेदनशील कलाकारों के बीच गजलों क यह महफिल राजधानी के इस्लामिक सेंटर में सजी व इस मौके पर देखो जो गजलों का संग्रह जारी भी किया गया।

डा. मृदुला सतीश टंडन की गज़़लों के एलबम को गीतकार व शायर फरहत शहज़ाद ने लिखा है तो वहीं इसके विमोचन पर आठ खुशनुमा गज़़लों की प्रस्तुति से माहौल और खुशनुमा हो गया। इस गज़़ल संध्या में फरहत शहज़ाद व शकील अहमद ने अपने हुनर से जहां वाहवाही बटोरी तो वहीं सांसद व अभिनेता शत्रुघन सिन्हा ने मौके पर शिरकत कर शाम को और भी यादगार बना दिया। गज़़ल एलबम के विषय में बताते हुए डॉ. मृदुला टंडन ने कहा कि, 'देखो तो’सार्थक कविता और गायकी का एक ऐसा अद्भुत संयोजन है जो श्रोताओं के बीच गज़़ल शैली में बेंचमार्क को बेहतर बनाता है। देखो तो शीर्षक गज़ल जऱा सा आप से बाहर निकल के देखो तो लिया गया है।


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