खाद्य सुरक्षा विभाग में जन संसाधनों व प्रयोगशालाओं की भारी कमी
दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग में जन संसाधनों व प्रयोगशालाओं की कमी के चलते जनता को त्यौहारों के दौरान मिलावटी खाद्य पदार्थों को खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग में जन संसाधनों व प्रयोगशालाओं की कमी के चलते जनता को त्यौहारों के दौरान मिलावटी खाद्य पदार्थों को खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग ने जून 2015 में दिल्ली सरकार को मौजूदा प्रयोगशालाओं व सुविधाओं के विस्तार के लिए व्यापक प्रस्ताव भेजा था लेकिन दो वर्ष से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाए गए। इसके परिणाम स्वरूप दिल्ली का खाद्य सुरक्षा विभाग जिस पर खाने की वस्तुओं की निगरानी व निरीक्षण करने की जिम्मेदारी बनती है इस लिहाज से प्रभावी कदम उठाने में असक्षम है। नतीजन लोगों को मिलने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा संदिग्ध है।
यह आरोप लगाते हुए दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सितम्बर 2008 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना हुई थी व खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के अनुसार प्रयोगशाला व परीक्षण सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए व्यवस्था है जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। परंतु अफसोस है कि दिल्ली सरकार इन मापदण्डों को लागू करने में बहुत पीछे है।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों और सुविधाओं की भारी कमी के कारण शहर में खाद्य पदार्थों के नमूनों को उठाने में कमी आई है। खाद्य सुरक्षा विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों को खाद्य सुरक्षा व मानकों में प्रशिक्षण देने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। उनमें से अधिकांश कर्मचारी अनुबन्ध के आधार पर काम कर रहे हैं और उनकी कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं है।
उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा विभाग के कुछ महत्वपूर्ण पद पिछले तीन चार वर्षों से रिक्त हंै। स्वीकृत 32 पदों में से केवल 12 खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही तैनात हैं। 23 फील्ड सहायकों में से केवल 08 सहायक ही कार्यरत हैं व 12 नामित अधिकारियों में से केवल 2 अधिकारी ही उपलब्ध हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के संबंध में अनुबंध के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति करना पूर्णतया अवांछनीय है। दिल्ली में पांच लाख से अधिक खाद्य प्रतिष्ठान हैं। जबकि दिल्ली में सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने व मिलावट की जांच करने के लिए उठाए गए नमूनों की संख्या नगण्य है।
वर्ष 2015 में 1,680 खाद्यों के नमूने उठाए गए थे। वर्ष 2016 में खाद्य नमूनों की उठाई गई संख्या गिरकर 945 पर पहुंच गई। वर्ष 2017 में अभी तक उठाए गए नमूनों की संख्या केवल 850 है। पिछले तीन वर्षों में अपराधियों के खिलाफ किए गए दर्ज मुकदमों की संख्या नगण्य है। केवल 204 मामलों में ही अपराधियों को दण्डित किया गया। यह संख्या शहर के आकार और खाद्य प्रतिष्ठानों की संख्या को ध्यान में रखते हुए बेहद कम व हास्यस्पद है।


