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विभिन्न विषयों को रेखांकित करता काव्य संग्रह

नृपेन्द्र अभिषेक नृप का काव्य-संग्रह 'एहसास कभी मिटा नहीं करते' समकालीन हिंदी कविता के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है

विभिन्न विषयों को रेखांकित करता काव्य संग्रह
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- गंगा पाण्डेय

नृपेन्द्र अभिषेक नृप का काव्य-संग्रह 'एहसास कभी मिटा नहीं करते' समकालीन हिंदी कविता के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। इस संग्रह में 75 कविताएँ संकलित हैं, जो विविध विषयों और भावनाओं को स्पर्श करती हैं। कविताएँ व्यक्तिगत अनुभूतियों, सामाजिक यथार्थ और दार्शनिक चिंतन का अनूठा सम्मिश्रण प्रस्तुत करती हैं। नृप की कविताओं में प्रेम, प्रकृति, समाज, राजनीति और अस्तित्व के सवालों का गहन विमर्श देखने को मिलता है।

इस संग्रह की पहली कविता 'शहर की सहर' पाठक को शहरीकरण की जटिलताओं और ग्रामीण जीवन के ह्रास की पीड़ा से अवगत कराती है। यह कविता बताती है कि कैसे आधुनिकता की दौड़ में गाँव का अपनापन, उसकी संवेदनाएँ और उसके सहज संबंध कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। नृप ने इस कविता में बड़े ही सजीव और हृदयस्पर्शी चित्रण के माध्यम से सामाजिक असंतुलन की स्थिति को उजागर किया है।

प्रेम को लेकर लिखी गई कविता 'शाश्वत प्रेम' प्रेम के विविध रूपों को दर्शाती है। यह कविता प्रेम की पीड़ा और समर्पण की भावनाओं को समान रूप से चित्रित करती है। नृप का प्रेम-दर्शन एकांगी नहीं है, बल्कि उसमें यथार्थ और स्वप्न दोनों का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।

प्राकृतिक आपदाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई कविता 'सपनों की बस्ती बह गई बाढ़ में' मानव जीवन की असहायता और प्रकृति के प्रकोप के सामने उसकी बेबसी को दर्शाती है। यह कविता न केवल आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह आपदा केवल भौतिक क्षति ही नहीं पहुंचाती, बल्कि वह मानवीय संवेदनाओं, सपनों और आशाओं को भी अपने साथ बहा ले जाती है।

कृषि प्रधान भारत में किसानों की स्थिति को उजागर करती हुई कविता 'मैं किसान हूँ' किसानों की पीड़ा, उनके संघर्ष और उनके अदम्य साहस की कथा को अभिव्यक्त करती है। यह कविता किसानों के शोषण, उनकी बदहाली और उनके जीवन की कठिनाइयों को बड़े ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।

आशा और निराशा के द्वंद्व को दर्शाती हुई कविता 'जरूरी है उम्मीदों का मर जाना' पाठक को गहरे आत्मविश्लेषण की ओर प्रेरित करती है। इसमें कवि मौन को एक विशेष अभिव्यक्ति का माध्यम बनाते हैं और बताते हैं कि कभी-कभी मौन भी शब्दों से अधिक मुखर होता है। यह कविता जीवन के उन क्षणों को दर्शाती है जब व्यक्ति स्वयं से संवाद करता है और अपने अस्तित्व को समझने की कोशिश करता है।

इसी तरह 'तुम मेरी अधूरी किताब' कविता एक अलग ही संवेदनाओं का संसार रचती है। यह कविता अधूरेपन की भावना को प्रकट करती है और पाठक को गहरे भावनात्मक अनुभव से जोड़ती है।

राजनीतिक व्यंग्य और समसामयिकता को दर्शाने वाली कविताएँ 'भारत का धृतराष्ट्र' और 'लोकतंत्र की नाक' समाज में व्याप्त राजनीतिक विसंगतियों और सत्ता के अंधत्व को प्रभावी रूप से उजागर करती हैं। इन कविताओं में नृप की पैनी दृष्टि और उनके विद्रोही तेवर स्पष्ट रूप से झलकते हैं।

नृपेन्द्र अभिषेक नृप की काव्य भाषा अत्यंत सहज, प्रवाहमयी और भावपूर्ण है। उनकी कविताओं में भाषा की सरलता के साथ-साथ गहराई का भी समावेश मिलता है। वे कठिन शब्दावली या अनावश्यक अलंकरणों से बचते हुए सीधे हृदय तक पहुँचने वाली भाषा का प्रयोग करते हैं। उनकी कविताएँ बिंबात्मकता से भरपूर हैं और उनमें चित्रात्मकता का अनूठा सौंदर्य देखने को मिलता है।

नृप की कविताओं में बिंब और प्रतीक अत्यंत सशक्त हैं। वे कभी प्रकृति के माध्यम से, तो कभी ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, 'भारत का धृतराष्ट्र' में राजनीति की अंधी दौड़ और सत्ता के लालच को महाभारत के पात्र धृतराष्ट्र के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। इसी तरह, 'सपनों की बस्ती बह गई बाढ़ में' में प्रकृति और मानव के संबंधों को संवेदनशीलता से उकेरा गया है।

यह काव्य-संग्रह पाठकों की संवेदनाओं को झकझोरने की क्षमता रखता है। इसमें समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत अनुभवों का गहन चित्रण किया गया है। नृप की कविताएँ केवल भावनाओं को व्यक्त करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे पाठकों को आत्ममंथन और समाजमंथन के लिए भी प्रेरित करती हैं। उनकी कविताएँ समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के साथ-साथ परिवर्तन की आवश्यकता का भी संकेत देती हैं।

इस संग्रह की एक विशेषता यह भी है कि इसमें पाठकों के अनुभवों को प्रतिबिंबित करने की अद्भुत क्षमता है। कविताएँ पढ़ते समय पाठक को ऐसा प्रतीत होता है मानो ये उसकी अपनी अनुभूतियाँ हों, उसके अपने संघर्षों और भावनाओं का हिस्सा हों।

नृपेन्द्र अभिषेक नृप का काव्य-संग्रह 'एहसास कभी मिटा नहीं करते' न केवल भावनाओं का दस्तावेज है, बल्कि यह समकालीन समाज और व्यक्ति की चिंताओं का भी आईना है। इसमें प्रेम, वेदना, संघर्ष, आशा, राजनीति और प्रकृति के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। नृप की कविताएँ हृदय को छूने वाली और मस्तिष्क को झकझोरने वाली हैं। यह संग्रह हिंदी काव्य-प्रेमियों के लिए निश्चित रूप से पठनीय और संग्रहणीय है।


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