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कांग्रेस और विपक्षी दलों का महागठबंधन एक 'अराजक संयोजन': अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए महागठबंधन को एक 'अराजक संयोजन' करार दिया

कांग्रेस और विपक्षी दलों का महागठबंधन एक अराजक संयोजन: अरुण जेटली
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए महागठबंधन को एक 'अराजक संयोजन' करार दिया और कहा कि 'इस तरह के गठबंधनों का भारत में प्रयास किया गया, इनका परीक्षण किया गया और यह विफल रहे।'

यहां हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में वित्त मंत्री ने कहा कि महागठबंधन का प्रयास अस्थिरता की ओर ले जाता है, जहां नीतियां नष्ट हो जाती हैं और सरकार की लंबी उम्र कुछ महीनों में सिमट जाती है।

उन्होंने गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें 'बड़े होने' और सार्वजनिक बहस में शामिल होने से पहले मुद्दे को समझने की जरूरत है।

जेटली ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन की बहुत सी बातें हो रही हैं।

उन्होंने कहा, "भारत में महागठबंधों का प्रयास किया गया, इनका परीक्षण किया गया और यह एक विफल विचार रहा। यह एक ऐसा प्रयास है, जहां नीतियां नष्ट हो जाती हैं और सरकार की लंबी उम्र कुछ महीनों में सिमट जाती है।"

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन गठबंधन का केंद्र 'बहुत विशाल' होना चाहिए, जिसके इर्द-गिर्द छोटे छोटे समूह होने चाहिए। जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मामले में था। उन्हें भाजपा के 183 सांसदों का समर्थन हासिल था और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 282 सांसदों का समर्थन हासिल है।

उन्होंने कहा, "आपके पास मुठ्ठी भर लोगों का केंद्र नहीं होना चाहिए क्योंकि यह एक अस्थिर केंद्र होता है। आप उन कुछ राजनीतिक दलों का एक ऐसा गठबंधन नहीं बना सकते, जिनके नेताओं का स्वभाव ही अपने अलग तरह के विचार वाला हो, जिनमें से कुछ की रुचि केवल क्षेत्रीय हो..मेरे राज्य को कुछ और पैसा मिले..और कुछ ऐसे हों जिनका एकमात्र मकसद अपने ऊपर लगे आपराधिक मामलों को बंद कराना हो।"

जेटली ने कहा, "अगर आपके साथ इस तरह की भीड़ है तो 2019 में चुनाव संगत नीति व एक मजबूत नेता के साथ एक स्थिर सरकार और पूर्णरूप से एक अराजक संयोजन के बीच होगा।"

उन्होंने कहा कि इस वक्त भारत को शासन और नीति में सुसंगतता की जरूरत है और 'देश एक अराजक प्रकार के संयोजन' को चुनने का जोखिम नहीं उठा सकता।

मंत्री ने कहा, "और, मुझे लगता है कि महत्वकांक्षी समाज कभी खुदकुशी नहीं करते। इसलिए मुझे पता है कि 2019 में क्या होने वाला है।"

राहुल गांधी की टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 में भाजपा के सत्ता संभालने के बाद एनपीए संकट और बढ़ गया है, पर प्रतिक्रिया देते हुए जेटली ने कहा कि गांधी को मुद्दे की उचित समझ नहीं है।

उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को बड़ा होने और मुद्दे को समझने की जरूरत है। एनपीए मुद्दे पर बहस बड़ी होनी चाहिए। यह नहीं हो सकता कि बिना मुद्दा समझे आप नारे लगाने लगें।"

जेटली ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए एनपीए और ऋण माफ करना समान चीज है।

उन्होंने कहा कि एनपीए समस्या की शुरुआत संप्रग शासनकाल के दौरान बैंकों द्वारा अंधाधुंध ऋण देने से हुई।

उन्होंने कहा कि जब भाजपा सत्ता में आई तो वास्तविक एनपीए साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये था जबकि किताबों में यह ढाई लाख करोड़ रुपये ही दर्ज था।

उन्होंने कहा कि बाकी के एनपीए को रफा-दफा कर दिया गया। इसका खुलासा बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने के उनके फैसले के बाद हुआ, जिसमें तत्कालीन आरबीआई गवर्नर भी उनके साथ थे।

उन्होंने कहा, "यह झूठे ऋण आपने दिए, जिसे नियम बनाकर हम वापस लाने का संघर्ष कर रहे हैं..और इसलिए मैं इस बहस को एक सुविज्ञ बहस कह रहा हूं। अगर अपको सार्वजनिक मुद्दों पर बहस करनी है तो आपको बड़ा होने और नारे लगाने से पहले मुद्दे को समझने की जरूरत है।"


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