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पूर्व सीएम केंगल हनुमंतैया के जीवन और संघर्ष पर एक किताब इस साल जारी की जाएगी : बोम्मई

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री केंगल हनुमंतैया के जीवन और संघर्ष पर एक किताब इस साल जारी की जाएगी

पूर्व सीएम केंगल हनुमंतैया के जीवन और संघर्ष पर एक किताब इस साल जारी की जाएगी : बोम्मई
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बेंगलुरु। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री केंगल हनुमंतैया के जीवन और संघर्ष पर एक किताब इस साल जारी की जाएगी, वहीं जल्द ही उनकी प्रतिमा का भी अनावरण किया जाएगा। कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने शुक्रवार को दिवंगत केंगल हनुमंतैया की 115वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा और तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से कहा कि हनुमंतैया ने दूसरे मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में भी काम किया है। उन्होंने कन्नड़ एकीकरण आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

सीएम ने कहा कि केंगल हनुमंतैया के जीवन पर एक आधिकारिक किताब इस साल तैयार और जारी की जाएगी। पहले से ही रामनगर में हनुमंतैया की एक मूर्ति तैयार की जा रही है और जल्द ही इसका अनावरण किया जाएगा।

बीबीएमपी के पास बेंगलुरु-मैसूरु रोड पर एक प्रमुख स्थान पर इस प्रतिमा की स्थापना का प्रस्ताव है, और औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि केंगल में हनुमंतैया के स्मारक को 'स्मृति उद्यान' के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसके लिए आवश्यक अनुदान जारी किया जाएगा।

सीएम बोम्मई ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सभी कन्नड़ भाषी लोगों को एकजुट करने और कर्नाटक राज्य की स्थापना के लिए भी सबसे आगे थे। मैसूरु की प्रजा प्रतिनिधि सभा से लेकर राज्य विधानसभा तक और लोकसभा सदस्य के रूप में भी, हनुमंतैया ने कर्नाटक की राजनीति के शुरूआती दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने प्रदेश के सर्वांगीण विकास का विजन डॉक्यूमेंट दिया और उसकी मजबूत आधारशिला भी रखी। राज्य की राजधानी में सुंदर विधान सौध के निर्माण के लिए हनुमंतैया जिम्मेदार थे। इस काम को एक मिशन के तौर पर अंजाम दिया गया। सीएम बोम्मई ने कहा कि ऐसे समय में जब ज्यादा तकनीक उपलब्ध नहीं थी, हनुमंतैया ने बेंगलुरु में एक भव्य संरचना का निर्माण किया, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

केंगल हनुमंथैया 1952 से 1956 तक तत्कालीन मैसूर राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री थे। वह वोक्कालिगा समुदाय के एक सम्मानित नेता हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उन्होंने राज्य के एकीकरण के लिए अपने सीएम पद की कुर्बानी दी थी।


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