जलवायु परिवर्तन के असर की खोज में निकले 200 पर्यावरणविद
करीब दो सदी पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने दुनिया की यात्रा की थी. पर्यावरणविद उन्हीं के कदमों पर चलते हुए डार्विन200 नाम की एक यात्रा पर मंगलवार को निकले.

इस यात्रा के दौरान . 105 साल पुराने एक जहाज पर सवार ये वैज्ञानिक मंगलवार को को दक्षिणी इंग्लैंड से निकले. 1831 में यहीं से चार्ल्स डार्विन ने अपनी यात्रा शुरू की थी जिसके दम पर उन्होंने क्रमिक विकास का सिद्धांत गढ़ा. डार्विन200 के दौरान 40,000 नॉटिकल मील का सफर तय होगा जिसमें 32 पड़ाव आएंगे. दिलचस्प है कि इसमें वह सारे स्थान शामिल हैं जहां डार्विन का जहाज एचएसएस बीगल गया था.
वैज्ञानिकों का लक्ष्य
डार्विन200 की स्थापना करने वाले स्टीवर्ट मकफरसन ने कहा है कि वैज्ञानिक कोरल रीफ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करेंगे. इसके साथ ही वन्यजीवों के प्राकृतिक निवास को हो रहे नुकसान को भी समझने की कोशिश की जाएगी. यही नहीं एक लक्ष्य यह भी है कि मरूस्थलीकरण की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए हजारों पौधे रोपे जाएं. मकफरसन ने कहा, "इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य उपाय सुझाना है. वह असली कदम जिनसे भविष्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है." इस मिशन जैसी यात्रा के लिए 200 युवा वैज्ञानिकों को चुना गया है जो जहाज पर रहेंगे और संरक्षण करने के तरीके सीखेंगे.
यह समूह जिस जहाज का इस्तेमाल कर रहा है, वह एक डच शिप है जो सुदूर जगहों पर जाएगी जैसे गालापागोस आर्किपिलागो जहां डार्विन ने यह पता लगाया था कि चिड़ियों की प्रजातियां एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर बदलती रहती हैं.
डार्विन200 के साझेदार
डार्विन की पर परपोती सारा डार्विन इस प्रॉजेक्ट के संरक्षकों में शामिल हैं. यही नहीं ब्रिटेन की जानी-मानी प्राइमेटॉलॉजिस्ट जेन गुडॉल भी इससे जुड़ी हैं. गुडॉल ने कहा, "हम सब जानते हैं कि हम छठे सबसे बड़े विनाश के दौर से गुजर रहे हैं. पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता से जुड़ी दिक्कतों पर बहुत निराशा है. यह यात्रा बहुत से लोगों को यह देखने का मौका देगी कि अभी भी बदलाव लाने का मौका है."


