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मप्र में 9 बार के सांसद कमलनाथ संभालेंगे मुख्यमंत्री की कुर्सी

 मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी कमलनाथ संभालने जा रहे हैं, वे राज्य के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से लगातार नौ बार सांसद चुने गए हैं

मप्र में 9 बार के सांसद कमलनाथ संभालेंगे मुख्यमंत्री की कुर्सी
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी कमलनाथ संभालने जा रहे हैं, वे राज्य के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से लगातार नौ बार सांसद चुने गए हैं। कांग्रेस में कमलनाथ को इंदिरा गांधी के तीसरे पुत्र के तौर पहचाना जाता है। कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर, 1946 को हुआ। उनकी शालेय शिक्षा दून स्कूल, सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से हुई। 1979 में प्रथम बार छिदवाड़ा से निर्वाचित हुए, उसके बाद लगातार 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में लोकसभा के लिए निर्वाचित होते रहे।

कमलनाथ कांग्रेस के प्रमुख अनुभवी नेताओं में से एक है। वे 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री, 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से शहरी विकास मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री 2014 तक रहे।

सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के साथ कमलनाथ का संगठन में भी खासा अनुभव है। उन्होंने 1968 में युवक कांग्रेस से राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 1976 में उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस का प्रभार मिला, 1970 से 81 अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे, 1979 में युवक कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के पर्यवेक्षक, 2000 से 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और वर्तमान में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष है।

वे कई शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं। उन्हें सन 2006 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। 1972 में बांग्लादेश की आजादी में योगदान के लिए बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान, 1991 पृथ्वी सम्मेलन रियो डी जेनेरियो भारत का कुशल प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद द्वारा प्रशस्ति देकर सम्मानित किया गया। वहीं 1999 में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन द्वारा व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया, वर्ल्ड इकोनमी फोरम में 14 बार लगातार भारत का नेतृत्व किया।

कमलनाथ ने 1982 से 2018 तक 600 से अधिक विदेशी यात्राएं की। संयुक्त राष्ट्र संघ की सधाारण सभा से लेकर अंतर्राष्ट्रीय संसदीय सम्मेलनों तथा सभी प्रमुख देशों में सम्मेलनों गोष्ठियों में सम्मिलित हुए। उन्होंने भारत की शताब्दी एवं व्यापार निवेश उद्योग नामक पुस्तक भी लिखी है।


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