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केन्या में पुलिस स्टेशन के पास कचरे में 9 शव

केन्या की राजधानी नैरोबी में एक पुलिस स्टेशन के बगल में नौ शव मिले हैं. केन्या में जून में टैक्स के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए. क्या प्रदर्शन के दौरान लापता हुए लोग पुलिस की बर्बरता का शिकार बने, इसकी जांच हो रही है

केन्या में पुलिस स्टेशन के पास कचरे में 9 शव
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केन्या की राजधानी नैरोबी में एक पुलिस स्टेशन के बगल में नौ शव मिले हैं. केन्या में जून में टैक्स के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए. क्या प्रदर्शन के दौरान लापता हुए लोग पुलिस की बर्बरता का शिकार बने, इसकी जांच हो रही है.

केन्या की स्वतंत्र पुलिस ओवरसाइट अथॉरिटी (आईपीओए) की मेज पर ऐसी कई शिकायतें हैं, जिनमें कहा गया है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों को गैरकानूनी तरीके से अगवा किया गया और हत्याएं भी की गईं. इस बीच देश की राजधानी नैरोबी के बाहरी इलाके में सात महिलाओं और दो पुरुषों के शव मिले हैं. शहर के मुकुरू इलाके के डंपिंग जोन में मिले ये शव छिन्न भिन्न हैं.

आईपीओए के बयान के मुताबिक, "शवों को बोरे में लपेटा गया था और नाइलॉन की रस्सी से बांधा गया था. शवों पर यातना और धारदार हथियार से वार के साफ चिह्न मौजूद हैं." पुलिस ओवरसाइट अथॉरिटी ने स्वीकार किया है कि, "एक पुलिस स्टेशन से डंप साइट की दूरी 100 मीटर से भी कम है."

सरकारी अभियोजन विभाग ने भी पुलिस स्टेशन के बगल में शव मिलने पर गहरी निराशा जताई है. विभाग ने आशंका जताते हुए कहा, "यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की ओर इशारा" करता है. केन्या की पुलिस पर इस तरह के आरोप पहले भी लग चुके हैं.

आईपीओए का कहना है कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या इन हत्याओं में पुलिस का हाथ है या फिर पुलिस इन मौतों को टालने में असफल रही. शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

केन्या में शांत प्रदर्शन कैसे उग्र हो गए

1963 में ब्रिटेन से आजाद हुए केन्या को अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे सफल लोकतांत्रिक देश कहा जाता है. जून में केन्या सरकार के नए फाइनेंस बिल के खिलाफ देश में प्रदर्शन शुरू हुए. बिल में टैक्स बढ़ाने के कुछ प्रस्तावों का सबसे ज्यादा विरोध युवा कर रहे थे. सोशल मीडिया पर #RejectFinanceBill2024 ट्रेंड करने लगा. प्रदर्शनों के बीच सरकार ने बिल में बदलाव किया और कुछ विवादित प्रस्ताव हटा दिए. इसके बाद 24 घंटे के भीतर 19 जून को बिल फिर पेश कर दिया.

इससे नाराज लोग सड़कों पर उतर आए. 20 जून को सुरक्षा एजेंसियों ने राजधानी नैरोबी में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान दो लोग मारे गए और करीब 200 लोग घायल हुए. आरोप है कि सुरक्षा कर्मियों ने बड़ी संख्या में लोगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में भी लिया. 25 जून को बिल पास होने के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने केन्या की संसद पर धावा बोल दिया. इस दौरान संसद के एक हिस्से में आग भी लगा दी गई.

सरकार के पैसे से चलने वाली केन्या के नेशनल कमीशन ऑन ह्यूमन राइट्स ने अपने बयान में कहा है, "हमारे रिकॉर्ड्स का डाटा यह इशारा करता है कि देश भर में हुए प्रदर्शनों में 39 लोगों की मौत हुई है और 361 लोग घायल हुए हैं." यह आंकड़े 18 जून से एक जुलाई 2024 के बीच के हैं. बयान में यह भी कहा गया है कि संदिग्ध परिस्थितियों में लापता होने के 32 मामले सामने आए हैं और गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों की संख्या 627 है.

राष्ट्रपति के इस्तीफे पर अड़े प्रदर्शनकारी

केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुतो ने पहले प्रदर्शनकारियों को "राष्ट्रद्रोही" करार दिया. संसद पर हमले के बाद उन्होंने पुलिस के साथ सेना को भी तैनात कर दिया. प्रदर्शनकारियों की मौत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच 26 जून को रुतो ने एलान किया कि वह बिल पर दस्तखत नहीं करेंगे. इसी दौरान हाई कोर्ट ने भी पुलिस को आदेश दिया कि वह फाइनेंस बिल का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस, रबर की गोलियां, पानी की बौछार और जिंदा बारूद का इस्तेमाल न करे.

12 जुलाई को रुतो ने उप प्रधानमंत्री के अलावा अपने बाकी मंत्रिमंडल को भंग कर दिया. कैबिनेट के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. इस बीच पुलिस चीफ जेफेथ कूमे भी पद से इस्तीफा दे चुके हैं. प्रदर्शनकारी रुतो से इस्तीफा मांग रहे हैं.

5.5 करोड़ की आबादी वाला केन्या, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से आर्थिक संकट और भयानक महंगाई से जूझ रहा है. देश में 18 से 34 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर करीबन 40 फीसदी है. हाईवे पर मुर्गी बेचकर राजनीति के गलियारों तक पहुंचे, रुतो आर्थिक विकास का नारा देकर 2022 में राष्ट्रपति बने, लेकिन पिछले कई महीनों से उनकी लोकप्रियता लगातार जमीन पर रेंग रही है.


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