वैश्विक स्तर पर भारत में मुखगुहा कैंसर के 86 फीसदी मामले
चीन और अमेरिका के बाद कैंसर के सबसे अधिक मामले भारत में हैं और यहां मुखगुहा कैंसर के मामले विश्व स्तर पर 86 फीसदी हैं।

कोलकाता। चीन और अमेरिका के बाद कैंसर के सबसे अधिक मामले भारत में हैं और यहां मुखगुहा कैंसर के मामले विश्व स्तर पर 86 फीसदी हैं।
तंबाकू का सेवन मुखगुहा कैंसर के 90 फीसदी मामले में लिए जिम्मेदार है और इस दिशा में ठोस कदम उठाकर ही इस बीमारी से निपटा जा सकता है। अब भारत को विश्व में मुखगुहा कैंसर की राजधानी भी कहा जाने लगा है।
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के अध्ययन के अनुसार भारत में 2018 में गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर से सबसे अधिक मौतें हुई थी।
चार फरवरी (मंगलवार) को विश्व कैंसर दिवस के मद्देनजर कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि ये आंकड़े डराने के लिए नहीं जारी किये गये हैं बल्कि लोगों को इस बात के लिए सचेत करने के लिए हैं कि कैंसर को शुरुआती चरण में ही पहचाना जा सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर की पहचान शुरुआती चरण में ही हो जाने से इलाज से रोगी के जल्द से जल्द ठीक होने के अवसर बढ़ जाते हैं और इसमें खर्च भी कम होता है एवं उपचार के दुष्प्रभाव के खतरे भी न के बराबर होते हैं।
शरीर की सामान्य कोशिकाओं में बदलाव आने और उसके बाद इसके अनियंत्रित हो जाने के कारण कैंसर होता है। इस बीमारी में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने के बाद गांठ का रूप ले लेती हैं जिसे ट्यूमर भी कहा जाता है। रक्त कैंसर को छोड़कर अन्य मामलों में ऐसा ही होता है।
मुंबई के टाटा मेमाेरियल हॉस्पिटल के उप निदेशक डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा, “मुखगुहा कैंसर से होने वाली मौतों को देख-देखकर मैं बहुत परेशान हो गया हूं। पुरुषों में सबसे अधिक मामले मुखगुहा कैंसर के होते हैं।”
उन्होंने कहा, “भारत में कैंसर के 40 फीसदी मामलों के लिए तंबाकू जिम्मेदार है। तंबाकू के खतरे से निपटकर हम कैंसर के 90 फीसदी मामलों को रोक सकते हैं।”


