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82 स्टेशनों पर बच्चों की सहायता के लिए बनेंगे बूथ

रेलवे स्टेशन, रेलगाड़ियों में मुसीबत में फंसे बच्चों की सहायता के लिए अब रेलवे सुरक्षा बल मौजूदा 35 स्टेशनों के साथ 47 अतिरिक्त रेलवे स्टेशनों को जोड़ेगा

82 स्टेशनों पर बच्चों की सहायता के लिए बनेंगे बूथ
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नई दिल्ली। रेलवे स्टेशन, रेलगाड़ियों में मुसीबत में फंसे बच्चों की सहायता के लिए अब रेलवे सुरक्षा बल मौजूदा 35 स्टेशनों के साथ 47 अतिरिक्त रेलवे स्टेशनों को जोड़ेगा। बाल सुरक्षा अभियान में अब ए-1 श्रेणी के सभी 75 स्टेशन सहित 82 रेलवे स्टेशनों को जोड़ा जाएगा।

ऑपरेशन मुस्कान लापता बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिए गृह मंत्रालय द्वारा चलाई गई एक प्रमुख पहल है और इसके अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में ही 21 हजार बच्चों को बचाया गया है। गुमशुदा बच्चों की खोज और बचाव के लिए चल रहे इस अभियान में ऐसे बच्चों को उनके परिवार से मिलाया जाता है जो रेलगाड़ियों और रेलवे परिसरों में संरक्षा और सहायता की जरूरत होती है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2014, 2015 व 2016 के दौरान रेलवे रक्षा बल के कार्मिकों ने 20,931 बच्चों का बचाव किया है।

इनमें 1,317 ऐसे बच्चे थे जो मानव तस्करों के चंगुल में फंसे थे। इनमें 944 लड़के और 373 लड़कियां शामिल थीं। इसी वर्ष 2017 में अगस्त तक 7,126 बच्चों को रेलवे सुरक्षा बल ने मुक्त कराया है इनमें 185 ऐसे बच्चे थे जो मानव तस्करी के जाल में फंसे थे, इनमें 124 लड़के और 61 लड़किया शामिल हैं। रेलवे सुरक्षा बल प्रतिदिन रेलगड़ियों और रेल परिसरों से 20-25 ऐसे बच्चों को उनके माता-पिता, रिश्तेदारों अथवा स्वयंसेवी संगठनों के सुरक्षित हाथों में सौंप दिया जाता है।

मुस्कान के कार्यकलापों पर गृह मंत्रालय ने रेल सुरक्षा बल को उल्लेखनीय सेवा के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया है तो वहीं अब चिन्हित रेलवे स्टेशनों पर विशेष बूथ और बाल सहायता स्थल बनाए हैं और यहां पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी 24 घंटे तैनात रहते हैं। दरअसल भारी तादाद में घर से भागे हुए, माता-पिता से बिछुड़े हुए और मानव तस्करी में शामिल बच्चे देश के विभिन्न भागों में यात्रा करते पाए जाते हैं।

रेलवे ऐसे बच्चों की सहायता कर, रेलवे परिसरों में ही उनको शरण देती है और उनके जीवन-यापन का प्रबंध करती है। ये बच्चे हिंसा, शोषण और उपेक्षा के शिकार होते हैं। रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी बताते हैं किअपना रास्ता भटक कर माता-पिता से बिछुड़ जाने वाले लाखों बच्चों की सुरक्षा क रना, बच्चों की तस्करी रोकने के लिए काम किया जा रहा है।


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