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पुणे में 9 लाख युवकाें को 8000 करोड़ का कर्ज : जावड़ेकर

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पुणे के नौ लाख युवकों को मुद्रा योजना के तहत 8000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया है

पुणे में 9 लाख युवकाें को 8000 करोड़ का कर्ज : जावड़ेकर
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पुणे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पुणे के नौ लाख युवकों को मुद्रा योजना के तहत 8000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया है और साथ ही आयुष्मान भारत एवं अन्य योजनाओं का लाभ भी अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंच रहा है।

श्री जावड़ेकर की अध्यक्षता में शनिवार को हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की पहली बैठक हुयी। उन्होंने कहा कि भारतनेट, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना जैसी योजनाएं भी तेजी से प्रगति कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना के तहत पुणे जिला के नौ लाख युवकों को 8000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत पुणे की 60 हजार महिलाओं को इसका लाभ मिला है। शौचालय बनाने और स्वच्छता की दृष्टिकोण से पुणे 10वें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा है।

उन्हाेंने कहा,“दिशा की बैठकें योजनाओं की रणनीति बनाने और उनके निष्पादन की निगरानी करने के लिए आयोजित की जाती हैं। मुद्रा योजना जिले में तेजी से प्रगति कर रही है। पुणे डिवीजन के 58 रेलवे स्टेशनों में से 46 को वाईफाई सुविधा से लैस किया गया है। पांच एस्केलेटर भी स्थापित किए गए हैं।”

श्री जावड़ेकर ने कहा कि बारामती के पासपोर्ट सेवा केंद्र ने अब तक 5000 पासपोर्ट वितरित किए हैं और आम लोगों का जीवन आसान बनाया है। पांच जिलों में 50 स्थानों पर पासपोर्ट सेवा केंद्र शुरू किए गए हैं। भारतनेट ने जिले के 790 ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन दिए हैं और उनमें से 155 औसत 20 जीबी के दैनिक उपयोग के साथ वाईफाई सुविधा से लैस हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों को खेल सामग्री प्रदान की जा रही है और स्कूलों में खेल के घंटे भी अनिवार्य किए जाएंगे।

मंत्री ने आगे कहा कि आयुष्मान योजना एवं अन्य योजनाओं सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पुणे में शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर,

जन्म दर और मृत्यु दर को कम करने में सफल रही है। लोगों की भागीदारी के कारण आंगनवाड़ी भी तेजी से प्रगति कर रही हैं।
हिंदी दिवस के अवसर पर लोगों को बधाई देते हुए श्री जावड़ेकर ने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की सरकार की नीति को दोहराया। उन्होंने स्थानीय भाषाओं के डर को मिटा दिया और इंटरनेट पर हिंदी के बढ़ते उपयोग का हवाला दिया। उन्होंने आगे कहा कि शायद ही किसी अन्य देश में ऐसी भाषाई विविधता देखी गई है। इस अवसर पर सांसद गिरीश बापट और सुप्रिया सुले भी उपस्थित थीं।


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