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बिना टेंडर 8 लाख के खेल सामानों की खरीदी!

बिलासपुर विश्वविद्यालय के फिजिकल विभाग में बिना टेंडर और बिना कोटेशन के आठ लाख रूपए की खेल सामग्री खरीदी गई है। जबकि फिजिकल विभाग को टेण्डर या कोटेशन के आधार पर सामग्री लेने का नियम है

बिना टेंडर 8 लाख के खेल सामानों की खरीदी!
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बिलासपुर। बिलासपुर विश्वविद्यालय के फिजिकल विभाग में बिना टेंडर और बिना कोटेशन के आठ लाख रूपए की खेल सामग्री खरीदी गई है। जबकि फिजिकल विभाग को टेण्डर या कोटेशन के आधार पर सामग्री लेने का नियम है। शासन के नियम का पालन विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं कर रहा है।

बताया जाता है कि फिजिकल विभाग ने मोटा कमीशन लेकर गुप्त रूप से खेल सामाग्री की खरीदी की है। बिलासपुर के मनोज स्पोर्ट्स और कोरबा के स्पोर्टस दुकान से बिना कोटेशन के स्पोर्ट्स की सामग्री खरीदी गई है। मनोज स्पोर्टस से 6 लाख और कोरबा के स्पोर्टस दुकान से डेढ़ लाख की खेल सामग्री ली गई है। विश्वविद्यालय का खेलकूद मैजेण्डर अगस्त माह से शुरू होता है। मगर विश्वविद्यालय प्रशासन के सन् 2017-18 के खेल सामग्री का टेण्डर सन् 2018 के जनवरी माह में किया गया है।

टेण्डर बिलासपुर के लक्ष्मी स्पोर्टस को मिला है। लक्ष्मी स्पोर्टस ने खेल के सामग्री का सप्लाई भी विश्वविद्यालय के भंडार विभाग को दी है। मगर सवाल यह उठता है कि मनोज स्पोर्टस और कोरबा के स्पोर्टस दुकान को भुगतान विश्वविद्यालय प्रशासन कैसे करेगा जबकि मनोज स्पोर्टस के संचालक विश्वविद्यालय के भुगतान को लेकर चक्कर काट रहे हैं। सन् 2017-18 के खेल के सभी टीम के सदस्यों को खेल का सामान दिए गए हैं।

क्योंकि विश्वविद्यालय में खेलकूद के सामानों की खरीदी हर वित्तीय वर्ष में करने का प्रावधान होता है। विश्वविद्यालय प्रशासन हर साल खेलकूद के सामानों की लाखों की खरीदी करता है। सूत्रों के मिल जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय के फिजिकल विभाग में खेलकूद के सामानों को लेकर लाखों का भ्रष्टाचार किया गया है। फिजिकल विभाग ने सन् 2017-18 के वर्ष में बिना टेण्डर और बिना कोटेशन के आठ लाख के खेल के सामानों की खरीदी की है।

जबकि विश्वविद्यालय में एक रूपए के सामान की खरीदी भी कोटेशन या टेण्डर द्वारा की जानी है। मगर फिजिकल विभाग में नियमों का पालन पिछले चार साल से नहीं किया जा रहा है और गुप्त रूप से खेलकूद के सामानों की खरीदी की जा रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक फिजिकल विभाग में 25 से 30 प्रतिशत तक कमीशनखोरी होती है। उसके बिना सामानों की खरीदी नहीं की जाती है। फिजिकल विभाग ने टीमों के लिए सामानों का खरीदी बिना टेण्डर और बिना कोटेशन के कर लिया फिजिकल विभाग ने बिना नियम का पालन किए सामानों की खरीदी स्पोर्टस दुकानों से कर ली।
अब उनका भुगतान विश्वविद्यालय में रूक गया है।


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