पंचायत चुनाव के सातवें चरण में 75.3 फीसदी वोटिंग
जम्मू-कश्मीर में नौ चरणों में हो रहे पंचायत चुनाव के सातवें चरण में मंगलवार काे 8.21 लाख से अधिक मतदाताओं में से 75.3 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में नौ चरणों में हो रहे पंचायत चुनाव के सातवें चरण में मंगलवार काे 8.21 लाख से अधिक मतदाताओं में से 75.3 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शालीन काबरा के अनुसार जम्मू प्रमंडल में सर्वाधिक 84.8 प्रतिशत और कश्मीर प्रमंडल में 30.3 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने बताया कि इसके अलावा बांदीपोरा में 25.2 प्रतिशत, कुपवाडा में 45 फीसदी, बारामुला में 17.8 प्रतिशत, गंदेरबल में 30.9 फीसदी, बडगाम में 13.1 प्रतिशत, अनंतनाग में 15.5 फीसदी, रामबान में 83 फीसदी, रीयासी में 86.7 फीसदी, सांबा में 85.5 फीसदी, जम्मू में 83.7 फीसदी, राजौरी में 84 फीसदी और पूंछ में 81.8 फीसदी मतदान हुआ।
राज्य के 15 जिलों में कड़ी सुरक्षा के बीच 2,714 मतदान केंद्रों पर पंचायत चुनाव के सातवें चरण के लिए मंगलवार को मतदान हुआ। इसमें कुल 8,21,743 मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना था।
अलगाववादियों के संगठन (जेआरएल) ने मतदान वाले क्षेत्रों में हड़ताल का आह्वान किया था। कश्मीर घाटी में तापमान जमाव बिंदु तक पहुंचने के कारण सुबह में मतदान की गति धीमी रही थी लेकिन दिन चढ़ने के साथ-साथ इसमें तेजी आती गयी।
श्री काबरा ने बताया कि पंचायत चुनाव के सातवें चरण में 892 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया था जिसमें कश्मीर क्षेत्र के 428 तथा जम्मू क्षेत्र के 464 मतदान केंद्र शामिल हैं।
श्री काबरा ने कहा कि पंचायत चुनाव के सातवें चरण में 5,575 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें सरपंच के लिए 341 उम्मीदवार तथा पंच पद को लेकर 1,798 उम्मीदवार शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सातवें चरण में 85 सरपंच तथा 912 पंच निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव के छठे चरण में 73.6 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, जिसमें कश्मीर क्षेत्र में 46.1 प्रतिशत तथा जम्मू क्षेत्र में 82.8 प्रतिशत मतदान हुआ था।
श्री काबरा ने कहा कि राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर मूलभूत सुविधाएं मुहैया करायी गयी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और सुचारु मतदान संपन्न कराने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को सामान्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था।


