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कश्मीर से केरल तक स्वच्छता अभियान से जुड़े 75 लाख छात्र

इस बार की दीपावली भारत के कई शहरों के लिए पहले के मुकाबले अलग तरह की थी

कश्मीर से केरल तक स्वच्छता अभियान से जुड़े 75 लाख छात्र
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नई दिल्ली। इस बार की दीपावली भारत के कई शहरों के लिए पहले के मुकाबले अलग तरह की थी। दिवाली के पटाखों के शोर की जगह, गीले और सूखे कचरे को अलग करने के व्यापक जागरूकता अभियान में स्कूली छात्र शामिल हुए। पूरे भारत से लगभग 45,000 स्कूलों के 75 लाख से अधिक छात्रों ने इसमें भाग लिया। कचरा मुक्त शहरों का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह अभियान चलाया गया।

'स्वच्छता के दो रंग' नामक इस अभियान में 'हरा गीला, सूखा नीला' का संदेश हर घर तक पहुंचाने का आह्वान किया गया। इसके तहत हरे डस्टबिन में गीले और नीले डस्टबिन में सूखे कचरे को स्रोत पर ही अलग-अलग करने पर जोर दिया गया।

अभियान में 2,000 से ज्यादा शहरी स्थानी निकायों ने 31 राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों में स्कूलों, समुदायों के साथ घर-घर जाकर जमीनी स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए। इसमें बताया गया कि जहां कचरा निकलता है, वहीं पर गीले और सूखे को अलग कर दिया जाए, तो उसे आसानी से खत्म या रीसाइकल किया जा सकता है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित इस जागरूकता अभियान में हर उम्र के छात्रों ने शामिल होकर कई तरह की गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें पेटिंग, हस्तशिल्प कला के जरिए गीले कचरे के लिए हरे और सूखे कचरे के लिए नीले रंग के लेबल और स्टिकर बनाए। बच्चों ने सूखे कचरे के इस्तेमाल से डस्टबिन, खिलौने आदि बनाए, नुक्कड़ नाटक किए और अपने घरों तक 'स्वच्छता का उपहार' स्वरूप लेकर गए।

'स्वच्छता के दो रंग' अभियान को शुरू करने के लिए असम के खोवाई में छात्रों ने बापू के स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण पर नृत्य नाटिका का प्रदर्शन किया। पटना नगर निगम के स्कूली छात्रों ने 'वेस्ट टू वंडर' थीम पर कचरे से कई तरह के मॉडल बनाकर गीले और सूखे कचरे के महत्व को समझाया और छोटा भीम जैसे बच्चों के पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर का इस्तेमाल कर जागरूक किया। दिल्ली के एमसीडी स्कूलों ने पज्जल बनाकर उसे सुलझाने के बहाने खेल-खेल में गीले-सूखे कचरे के बारे में जागरूक किया।

इंदौर, जो स्वच्छता सर्वेक्षण अवॉर्डस में छह बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत चुका है और 7-स्टार कचरामुक्त शहर है, उसने एक बार फिर दिवाली के बाद स्वच्छता अभियान में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। असम के तेजपुर म्यूनिसिपल बोर्ड ने ऐसी जगहों पर बैनर और कियोस्क लगाए, जहां काफी संख्या में लोगों का आवागमन होता है। फोरेस्ट घाट पर सेल्फ सस्टेनेबल लोकलिटी के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूह और स्थानीय निवासियों के लिए वर्मी कंपोस्टिंग और पिट कंपोस्टिंग का डेमो देते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया।

केरल की मलप्पुरम नगरपालिका में अंतरराज्यीय मजदूरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया, जिसमें कचरे को अलग करने के अभियान के बारे में जागरूक किया गया। त्रिची नगरपालिका ने सिनेमा हॉल में ऐसे कियोस्क लगाए, जहां कचरे को अलग करने पर क्विज और इंटरेक्टिव जागरूकता अभियान चलाया।

भारतीय डाक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने देशभर में स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों में खुद को शामिल कर सक्रिय भागीदारी निभाई। कश्मीर के ओपीएस सेक्टर में सीआरपीएफ के जवानों ने सीआरपीएफ कैंप की सड़कों, बगीचों और परिसरों की सफाई के लिए झाड़ू उठाई।


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