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लुप्त होने का गंभीर खतरा झेल रहे जीवों में 700 नये जीव शामिल

समुद्री स्तनधारियों की खतरे में जी रही प्रजातियां, समुद्री मोलस्कों की कई प्रजातियां और कैरेबियाई कोरल के एक प्रकार समेत सैकड़ों जीवों की प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है.

लुप्त होने का गंभीर खतरा झेल रहे जीवों में 700 नये जीव शामिल
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इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑप नेचर, आईयूसीएन ने मांट्रियल में चल रहे कॉप15 के दौरान विलुप्त होने का खतरा झेल रहे जीवों के बारे में जानकारी दी है. आईयूसीएन के सैकड़ों सदस्यों में दुनिया भर की सरकारों की कई एजेंसियां भी शामिल हैं और यह पृथ्वी के पर्यावरण का ध्यान रखने के काम में जुटी प्रमुख एजेंसियों में एक है.

लुप्तप्राय जीव बनने जा रहे हैं जिराफ

खतरे में है विनम्र, विशाल जीव

आईयूसीएन अपनी रेड लिस्ट का इस्तेमाल कर उन जीवों का वर्गीकरण करती है जो लुप्त होने की ओर बढ़ रहे हैं. इस साल उसने एक विशाल और विनम्र समुद्री स्तनधारी के लिए खतरे की घंटी बजाई है जो प्रशांत महासागर के पूर्वी से पश्चिमी अफ्रीका तट के बीच रहती है. इसका नाम है डुगोंग. इसकी सारी प्रजातियां खतरे की जद में हैं जबकि पूर्वी अफ्रीका के इलाकों में रहने वाले इसकी प्रजातियों लुप्त होने जा रही हैं.

हर 20 मिनट पर लुप्त हो रही है एक प्रजाति

न्यू कैलेडोनिया में इस स्तनधारी की पूरी आबादी मिट जाने के गंभीर खतरे का सामना कर रही हैं. इसके पीछे न्यू कैलेडोनिया में इनका शिकार और पूर्वी अफ्रीका में मछली मारने के हथियारों की चपेट में अनचाहे तौर पर इनका फंसना है. इसके अलावा नावों से टकराने और समुद्री घास के खत्म होने से भी इन पर खतरे घंटी बज रही है. समुद्री घास इनका भोजन है.

पूर्वी अफ्रीका की रेड लिस्ट के विश्लेषण का नेतृत्व करने वाले इवान त्रोतसुक का कहना है, "सामुदायिक स्तर पर मछली पालन का प्रशासन और पूर्वी अफ्रीका में मछली के शिकार से अलग नौकरियों के मौके का विस्तार करना जरूरी है. इन जगहों पर समुद्री इकोसिस्टम लोगों की खाद्य सुरक्षा और रोजगार से जुड़ा है.

रेड लिस्ट में 150,000 प्रजातियां

आईयूसीएन की रेड लिस्ट में 150,000 प्रजातियां हैं. आईयूसीएन का कहना है कि इनमें से 42 हजार प्रजातियां लुप्त होने का खतरा झेल रही हैं. किसी जीव की प्रजाति पर मंडरा रहे खतरे को व्यक्त करने के लिए आईयूसीएन ने कई वर्ग बनाये हैं. इनमें सबसे कम खतरा "लिस्ट कंसर्न" वाले वर्ग पर जबकि सबसे ज्यादा खतरा "क्रिटिकली एनडेंजर्ड" वाले वर्ग पर हैं. इस हफ्ते के अपडेट के बाद रेड लिस्ट में 3000 नये नाम जोड़े गये हैं जिनमें से 700 पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है.

आईयूसीएन के सेंटर फॉर साइंस एंड डाटा की प्रमुख जेन स्मार्ट का कहना है कि खतरे में डूब चुकी प्रजातियों को उबारने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और नया लिस्ट खतरे का सिंहनाद कर रहा है. स्मार्ट ने कहा, "जो खबर हम आपको देते हैं वह अकसर दुखद होती है, थोड़ा निराश करने वाली होती है लेकिन इससे फिर कार्रवाई शुरू होती है जो अच्छी बात है."

खतरे में कोरल

पूरे कैरेबियाई इलाके में पाये जाने वाले पिलर कोरल को इस हफ्ते की अपडेट में खतरे से गंभीर खतरे वाले वर्ग में डाल दिया गया है. कोरल टिश्यू लॉस बीमारी से जूझ रहे हैं और इनकी आबादी ज्यादातर इलाकों में 1990 के बाद से 80 फीसदी तक घट गई है. आईयूसीएन ने अटलांटिक महासागर के दो दर्जन से ज्यादा कोरल की प्रजातियों को गंभीर खतरे वाले वर्ग में रखा है.

जरूरत से ज्यादा शिकार के कारण अबालोन पर भी खतरा मंडराने लगा है. यह सीफूड के तौर पर इस्तेमाल होता है. अबालोन की 54 में से 20 प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और रोग इन पर मंडरा रहे खतरे को और ज्यादा तेज कर रहे हैं.


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