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वैश्विक चुनौतियों के बीच 7 प्रतिशत जीडीपी दर भारत के लिए मुमकिन : मुख्य आर्थिक सलाहकार

वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करना मुमकिन है। हालांकि, इस साल की शुरुआत के मुकाबले अब यह लक्ष्य पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को ये बातें कहीं

वैश्विक चुनौतियों के बीच 7 प्रतिशत जीडीपी दर भारत के लिए मुमकिन : मुख्य आर्थिक सलाहकार
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नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करना मुमकिन है। हालांकि, इस साल की शुरुआत के मुकाबले अब यह लक्ष्य पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को ये बातें कहीं।

नागेश्वरन ने कहा कि जब जनवरी में हमने जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7 प्रतिशत तय किया था, तब हमें अधिक आत्मविश्वास था, लेकिन वैश्विक परिस्थितियां बदल गई हैं। हालांकि, हमें अभी भी लगता है कि 7 प्रतिशत विकास दर हासिल हो सकती है और हम अधिक सावधान नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण होना चाहते हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत तय किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि हम वृद्धि दर को लेकर निराशावादी नहीं, बल्कि आशावादी है, लेकिन हमें उन चुनौतियों को भी ध्यान रखना होगा, जो कि मानसून के बढ़ने के साथ सामने आ रही हैं।

भारत के कृषि क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इससे जुड़े सेक्टर को प्रोत्साहन और जमीन समेकन की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के मई 2024 तक अच्छे नतीजे आए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे अहम सेक्टर में निवेश 1.28 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।

नागेश्वरन ने आगे कहा कि भारत के कॉरपोरेट सेक्टर को इस बात को पुख्ता करना है कि नई टेक्नोलॉजी को लागू करने से श्रम की हिस्सेदारी आय में न घटे। यह भारत के आईटी और गैर-आईटी दोनों क्षेत्र के लिए जरूरी है।

साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के बढ़ते हुए कार्यबल को खपाने के लिए प्रति वर्ष करीब 80 लाख नए रोजगार पैदा करने की आवश्यकता है।

भारत में पंजीकृत होने वाले पेटेंट में 2015 के मुकाबले 17 गुना का इजाफा हुआ है, जो दिखाता है कि देश में इनोवेशन बढ़ रहा है।

नागेश्वरन ने आगे देश में बहुत सारे सूक्ष्म उद्योगों, कुछ बड़े उद्योगों के साथ उद्यमों के असंतुलित वितरण का भी उल्लेख किया, लेकिन बीच में एक बड़ा अंतर है जिसे जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाकर पाटने की जरूरत है।


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