68.7 फीसदी पीड़िताओं ने दर्ज नहीं कराई कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न झेलने वाली पीड़िताओं में से 68.7 प्रतिशत ने लिखित या मौखिक शिकायत दर्ज नहीं कराई

नई दिल्ली। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न झेलने वाली पीड़िताओं में से 68.7 प्रतिशत ने लिखित या मौखिक शिकायत दर्ज नहीं कराई। वुमेंस इंडियन चैंबर ऑफ कमर्स एंड इंडस्ट्री (विक्की) के एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। यह सर्वे भारत में यौन उत्पीड़न पर वार्षिक समीक्षा के पहले संस्करण का हिस्सा है। इसका मुख्य कारण रहा प्रक्रिया में विश्वास की कमी, अपने करियर के प्रति चिंता, आरोपियों को कोई सजा नहीं मिल पाना, आदि।
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई कर्मचारी अपने सहकर्मी की उपस्थिति के कारण असहज महसूस करता है, 70 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने 'हां' में जवाब दिया। यह दिखाता है कि कम से कम एक बिंदु पर, कर्मचारी दूसरे कर्मचारी के कारण अपने कार्यस्थल पर असहज महसूस करते हैं।
जब यह पूछा गया कि क्या आपने यौन उत्पीड़न होते देखा है, तो अधिकांश उत्तरदाताओं ने कहा 'कभी नहीं'। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या किसी ने किसी की मौजूदगी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की, या बार-बार सेक्स संबंधी कहानियों या चुटकुलों को सुना, तो कई ने 'हां' में जवाब दिया। इससे पता चलता है कि समाज में यौन उत्पीड़न को किस तरह देखा और समझा जाता है।
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कानून के अनुसार, यौन उत्पीड़न न केवल अवांछित शारीरिक संपर्क है, बल्कि मनुष्य के आचरण और महिला सहकर्मियों के साथ व्यवहार को भी रेखांकित करता है।
झूठी/दुर्भावनापूर्ण शिकायतों के वर्गीकरण के बारे में 46.2 प्रतिशत आईसी/एलसी सदस्यों ने कहा कि इस तरह के वर्गीकरण महिलाओं को अपनी शिकायतों के साथ आगे आने से रोकते हैं, जबकि 38.5 प्रतिशत ने उत्तर दिया कि 'निश्चित नहीं' हैं।
51.1 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि एक व्यक्ति को यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने के लिए एक वर्ष या उससे अधिक दिया जाना चाहिए, जो कानून द्वारा निर्धारित 3 महीने से अधिक है। यह इंगित करता है कि ज्यादातर कर्मचारी यह समझते हैं कि आधिकारिक शिकायत दर्ज करने के लक्ष्य के लिए कई संस्थागत, मानसिक और सामाजिक बाधाओं को दूर करना होता है, जिसके लिए 3 महीने बहुत कम समय अवधि है।
चूंकि अधिनियम केवल लिखित और औपचारिक शिकायतों को दर्ज करने की अनुमति देता है, 90 फीसदी मानव संसाधन/सीएक्सओ सदस्यों ने कहा कि अधिनियम की गंभीरता के आधार पर अनौपचारिक और औपचारिक दोनों शिकायतें दर्ज की जानी चाहिए।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रतिक्रिया देने वाले 75 प्रतिशत मानव संसाधन/सीएक्सओ सदस्य, 50 प्रतिशत कर्मचारी और 45 प्रतिशत एनजीओ सदस्यों ने उन संगठनों में काम किया जिन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम और निवारण के लिए एक अधिनियम के तहत शिकायत समिति का गठन किया था।


