हर माह 65 लाख खर्च फिर भी सफाई नहीं
स्वच्छता के मामले में शहरों की ताजा रैकिंग में बिलासपुर नगर निगम की सफाई व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है

बिलासपुर। स्वच्छता के मामले में शहरों की ताजा रैकिंग में बिलासपुर नगर निगम की सफाई व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। 66 वार्डों वाले नगर निगम में 34 वार्डों की सफाई का कार्य ठेके पर लगाया जा रहा है, जहां सबसे अधिक शिकायतें हैं। ये ठेके रसूखदारों ने प्राप्त कर लिए है। पुराने ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड करते हुए उन्हें सफाई के ठेके दिए गए।
पहले निगम शिकायतों पर ठेकेदारों के खिलाफ जुर्माना भी किया करता था, लेकिन इन रसूखदारों ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। निगम सफाई पर हर माह 65 लाख रूपए खर्च कर रहा है और उसे सफाई के मामले में प्रदेश के 8 वें नम्बर के शहर की रैकिंग हासिल हुई।
निगम प्रशासन हर माह 65 लाख रूपये शहर की सफाई व्यवस्था पर खर्च कर रहा है। पिछले एक वर्ष में सफाई व्यवस्था को लेकर शिकायतों पर ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बताते हैं कि सफाई ठेके में राजनैतिक पहुंच रखने वालों का जब दखल नहीं था तब महीने में एक दो ठेकेदारों पर जुर्माने की कार्रवाई हो ही जाती थी। सफाई ठेकेदारों पर 50 हजार तक का जुर्माना लगाया जा चुका था। जब से नए ठेके हुए हैं शही की सफाई व्यवस्था को लेकर शिकायतें बढ़ गई हैं।
शहर की मुख्य सड़क हो या गली कचरे का अम्बार यत्र-तत्र दिखाई देता हे। नालियों की नियमित सफाई नहीं हो रही है। शहर में 65 वार्ड हैं। जिसमें 34 वार्डों की सफाई ठेके पर करायी जा रही है। सफाई कार्य का बिल बिना देखे पास कर दिया जा रहा है। शहरवासी सफाई व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर करते रहे हैं, लेकिन निगम के अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।
सफाई व्यवस्था को लेकर निगम प्रशासन के पास शिकायतों अम्बार लगा हुआ है। ठेकेदारों पर कार्रवाई के लिए निगम के अधिकारी आगे नहीं आते। पिछले तीन साल से शहर की सफाई व्यवस्था ठेके पर चलाई जा रही है। कोटशन लेकर ठेके दे दिया जाता है। कहा तो यह भी जा रही है कि सफाई विभाग मेें बिल पास करने में कमीशनखोरी चल रही है।
निगम प्रशासन द्वारा शहर की सफाई के लिए करोड़ों की मशीनें खरीदी गई थीं। ये मशीनें धूल खा रही हैं। मशीनों का उपयोग नहीं किया गया है। मशीनों का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है, इस बारे में अधिकारी बोले को तैयार नहीं हैं। अधिकारी शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर कोई नई योजना तक नहीं बना पाए हैं।
करोड़ों की मशीनों की खरीदी जरूर हो रही है। शहर की सफाई व्यवस्था कब तक सुधरेगी, निगम के अधिकारी नहीं बता पा रहे हैं। व्यवस्था ऐसे ही चलती रही तो शहर स्वच्छता में आने वाले समय में ओर नीचे जा सकता है।


