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दिल्ली में 6 नए कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव

शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शैक्षिक सत्र 2021-22 में 6 नए कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव दिया है

दिल्ली में 6 नए कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव
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नई दिल्ली। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शैक्षिक सत्र 2021-22 में 6 नए कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव दिया है। एसोसिएशन द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव में दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में से 6 कॉलेजों में सांध्य पारी के कॉलेज भी खोले जाने का सुझाव है। दिल्ली सरकार को दिए गए सुझाव में डीटीए ने बताया कि इन नये कॉलेजों के खुलने पर ज्यादा संसाधनों की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। न ही सरकार पर ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ेगा। साथ ही नये कॉलेज खोलने का दिल्ली की जनता से आप का वायदा भी पूरा होगा। इससे दिल्ली के स्कूलों के छात्रों को दिल्ली के कॉलेजों में प्रवेश लेने में राहत भी मिल सकती है।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भेजे गए प्रस्ताव में जिन 6 कॉलेजों में नये सांध्यकालीन कॉलेज खोलने का प्रस्ताव है वे दिल्ली प्रदेश के हर क्षेत्र को कवर करेंगे। इन कॉलेजों में भीमराव अंबेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस और केशव महाविद्यालय हैं।

डीटीए ने कहा, "आगामी शैक्षिक सत्र 2021-22 से उपर्युक्त कॉलेजों में सांध्यकालीन कॉलेज खोलने संबंधी यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार विधानसभा में पारित कर नये कॉलेजों को खोलने का वादा पूरा कर सकती है। दिल्ली सरकार को इन कॉलेजों को खोलने पर कोई खास अतिरिक्त वित्त का बोझ नहीं पड़ेगा।"

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के प्रभारी व पूर्व एकेडेमिक काउंसिल सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, "दिल्ली सरकार ने पिछले दो दशकों से कोई नया कॉलेज नहीं खोला है। दिल्ली की आबादी बढ़ रही है, दिल्ली के स्कूलों में हर साल छात्रों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। हर साल इन स्कूलों से 12 वीं पास करके 2.5 लाख छात्र निकल रहे हैं।"

उन्होंने बताया है कि दिल्ली के छात्रों की पहली प्राथमिकता दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन की होती है, लेकिन रेगुलर कॉलेजों में कुल 75 हजार सीटें है। इसके अलावा दिल्ली की छात्राओं की नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड में लगभग 15 हजार सीटें हैं। इसके बाद छात्रों के पास स्कूल ऑफ ओपन लर्निग ( एसओएल ) का विकल्प बचता है।


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