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पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बना 55 बाघों का घर

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की पहचान बाघ विहीन राष्ट्रीय उद्यान की बन चुकी थी, मगर बीते 10 सालों में किए गए प्रयासों के चलते यहां 55 बाघों का घर बन गया है

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बना 55 बाघों का घर
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भोपाल। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की पहचान बाघ विहीन राष्ट्रीय उद्यान की बन चुकी थी, मगर बीते 10 सालों में किए गए प्रयासों के चलते यहां 55 बाघों का घर बन गया है। दुनिया में पन्ना-हीरा के साथ बाघ के लिए जाना जाता था, मगर यहां वर्ष 2009 आते तक यहां का राष्ट्रीय उद्यान बाघ विहीन हो चुका था, मगर वर्ष 2009 में हुए बाघ पुन: स्थापना के सफल प्रयोग से 10 वर्ष पूरे कर बाघ संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। वर्तमान में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 55 बाघों का घर है। बाघ की अकेले रहने की प्रवृत्ति के कारण अब यह क्षेत्र भी बाघों के लिये छोटा पड़ने लगा है। कई देश अब पन्ना मडल का अध्ययन कर अपने देश में बाघ पुनस्र्थापना का प्रयास कर रहे हैं।

उद्यान के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने कहा कि बाघ पुनर्वासन बहुत ही दुष्कर कार्य था। हमें कदम-कदम पर असफलताएं भी मिलीं, पर हमने हार नहीं मानी। एक के बाद एक प्रयोग करते रहे। स्थानीय लोगों को भी जागरूक करते रहे। जो परिणाम आए, वो आज विश्व के सामने हैं।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की बात की जाए तो इसे वर्ष 1994 में टाइगर रिजर्व का दर्जा भी मिला था। फिर एक समय ऐसा भी आया, जब वर्ष 2009 में इस टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा।

मार्च 2009 में बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से दो बाघिन को पन्ना लाया गया। इन्हें टी-एक और टी-दो नाम दिया गया। इसके बाद वर्ष 2009 में दिसंबर माह मंे पेंच टाइगर रिजर्व से बाघ लाया गया, जिसका नामकरण टी-तीन किया गया। इस बाघ का पन्ना टाइगर रिजर्व में मन नहीं लगा और वह वापस दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा। हर वक्त सतर्क पार्क प्रबंधन ने 19 दिन तक बड़ी कठिनाई और मशक्कत से इसका लगातार पीछा किया और 25 दिसंबर को इसे बेहोश कर फिर पार्क में ले आए।


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