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अवैध कारोबार से खतरे में पड़ेंगी 54 लाख नौकरियां 

नकली और तस्करी वाली वस्तुओं का अवैध कारोबार 2022 तक दुनिया में 54 लाख नौकरियां खत्म कर देगा

अवैध कारोबार से खतरे में पड़ेंगी 54 लाख नौकरियां 
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नई दिल्ली। नकली और तस्करी वाली वस्तुओं का अवैध कारोबार 2022 तक दुनिया में 54 लाख नौकरियां खत्म कर देगा। उद्योग संगठन फिक्की और सलाहकार सेवा कंपनी केपीएमजी की ओर से 'अवैध कारोबार, आतंकी फंडिंग और संगठित अपराध को प्रोत्साहन' शीषर्क से प्रकाशित रिपोर्ट में अवैध कारोबार, संगठित अपराध और आतंकी फंडिंग के बीच साठगांठ को उजागर करने की कोशिश की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी फंडिंग एक वैश्विक समस्या का रूप ले चुकी है। हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा जैसे बड़े आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों के लिए 20 फीसदी धन इस अवैध कारोबार के जरिए ही जुटाते रहे हैं। इससे दुनिया के करीब-करीब सभी देश प्रभावित हो रहे हैं। इसका असर उद्योगों, सरकारों तथा जनता पर समान रूप से पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार,2013 में नकली और तस्करी की वस्तुओं के अवैध कारोबार के कारण सामाजिक और आर्थिक स्तर पर करीब 898 अरब अमरीकी डालर का नुकसान हुआ।

जिसके 2022 तक 108 फीसदी बढ़कर 1800 अरब पर पहुंच जाने की आशंका है जिससे 54 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं। केपीएमजी के अनुसार, 2012-16 के बीच औसतन 3429.69 करोड़ रुपए के इलेक्ट्रानिक और 3119.56 करोड़ रुपए के सोने के सामनों और 913 करोड़ रुपए के मशीनी उपकरणों की तस्करी हुई। वर्ष 2010 से 2015 के बीच सिगरेट और तंबाकू उत्पादों की तस्करी 15 फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी हो गई। फिक्की के महासचिव डॉ. संजय बारू के अनुसार, नकली और तस्करी की वस्तुओं का अवैध कारोबार अर्थव्यवस्था को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है।

यह वैध करोबार को अस्थिर बनाता है, निवेश और नवाचार को हतोत्साहित करता है, सरकारी राजस्व घटाता है तथा उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डालता है। इसके अलावा यह अंतरराष्ट्रीय अपराधों, भ्रष्टाचार और आतंकवाद का भी कारण बन पूरी दुनिया में असुरक्षा और अस्थिरता का माहौल पैदा करता है।

रिपोर्ट में इस समस्या से निजात पाने के लिए उद्योग और सरकार को मिलकर प्रभावी उपाय करने की सलाह दी गयी है और कहा गया है कि इसके लिए सरकार को उचित नीतियां बनाने के साथ ही लोगों को जागरुक भी बनाना होगा।


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