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5 लाख साल पुराने दुर्लभ हाथी दांत मिले

इस्राएली पुरातत्वविदों ने बुधवार को अब लुप्त हो चुके हाथियों की प्रजाति के दांत दिखाये.

5 लाख साल पुराने दुर्लभ हाथी दांत मिले
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करीब 2.6 मीटर लंबे दांतों का वजन 150 किलो है. इसे दक्षिणी इस्राएल के रेवाडिम के पास एक गांव में चल रही खुदाई के दौरान बरामद किया गया. यह खुदाई इस्राएल एंटीक्विटीज अथॉरिटी, आईएए के दिशानिर्देश पर चल रही है. यह अब तक के सबसे बड़े हांथी दांत की खोज कही जा रही है.

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लुप्त हो चुकी है हाथियों की यह प्रजाति

खुदाई के निदेशक एवी लेवी का कहना है कि अत्यधिक संरक्षित दांत की खोज शानदार है. उन्होंने यह भी कहा, "हाथी सीधे दांत वाली प्रजाति का था जो हमारे इलाके में करीब 4 लाख साल पहले लुप्त हो गये. दांत के बगल में चकमक पत्थर के औजार भी मिले हैं जो प्रागैतिहासिक मानव हाथी समेत दूसरे जानवरों को काटने और उनकी खाल उतारने के लिये इस्तेमाल करता था."

लेवी का कहना है कि इलाके में रहने वाले प्रागैतिहासिक मानव की पहचान "एक रहस्य" था. यह इलाके अफ्रीका, एशिया और यूरोप के बीच एक पुल की तरह है. लेवी ने कहा, "हमें यहां लोगों के अवशेष नहीं मिले हैं, हमें सिर्फ उनके सामान और संस्कृति की निशानियां मिली हैं, कुछ ऐसी चीजें जो उन्होंने इस्तेमाल के बाद फेंक दी थीं अब वो चाहे जानवरों की हड्डियां हों या फिर चकमक के औजार."

रेवाडिम में पहले हुई खुदाइयों के दौरान हाथियों की हड्डियों पर काम करने के निशान मिले हैं, इनमें से कुछ को इंसानों ने औजार के रूप में विकसित किया था जबकि कुछ पर काटने के निशान मिले हैं, जो शायद उन्हें इस्तेमाल के लिये तोड़ने के दौरान बने होंगे.

हाथी का शिकार एक सामाजिक उत्सव

हांथी दांत के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह कम से कम 5 मीटर लंबा होगा. यह आज अफ्रीका में मौजूद हाथियों के आकार से काफी ज्यादा है. ऐसे जानवर से मांस भी काफी ज्यादा मिलता है और इसमें वसा की अधिकता के कारण इनका संरक्षण मुश्किल होता है. इन सब के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि हाथियों का शिकार एक सामाजिक उत्सव था.

तेल अवीव यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट इस्रायल हेर्षकोवित्ज का कहना है, "शिकारी घुमक्कड़ों के समूह निश्चित समय पर जमा होने की जगह इकट्ठा होते जहां वो औरतों और जानकारियों का लेन देने करते साथ ही साल भर में कमजोर हुए सामाजिक संबंधों फिर मजबूत करने के बाद हाथियों का शिकार करने जाते, इसके सांकेतिक मायने थे."

भले ही हाथी दांत एक प्रमुख प्रतीक रहे होंगे लेकिन विशाल और भारी होने की वजह से जरूरी नहीं है कि यह घुमक्कड़ लोगों के साथ जाते हैं. हेर्षकोवित्ज के मुताबिक, "मुमकिन है कि इस तरह के हाथी दांत के पास वो कोई रीति रिवाज किसी निश्चित समय पर करते होंगे और फिर उन्हें आगे जाना होता होगा या फिर परिवार के लिये नई जगहें ढूंढनी होती होंगी."

तेल अवीव और नेगेव के बेन गुरियन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों की टीम की खुदाई में मिला यह हाथी दांत आईएए के केंद्र में आगे की रिसर्च के लिये रखा जायेगा.


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