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7 नवंबर से दिल्ली में होगा सेना के शीर्ष कमांडरों की 5 दिवसीय कांफ्रेंस

राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर होगी व्यापक चर्चा

7 नवंबर से दिल्ली में होगा सेना के शीर्ष कमांडरों की 5 दिवसीय कांफ्रेंस
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- जोगेंद्र सोलंकी
नई दिल्ली। सेना के शीर्ष कमांडर सोमवार से शुरू हो रहे पांच दिवसीय सम्मेलन में पाकिस्तान-चीन से लगी सीमा समेत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा करने के साथ उन उपयों पर भी मंथन करेंगे जिससे देश की 13 लाख सैनिकों वाली मजबूत सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाया जा सके। सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 10 नवंबर को सेना के कमांडरों को संबोधित करने और उनके साथ बातचीत करने वाले हैं।
कमांडर कांफ्रेंस के दौरान उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े भू राजनीतिक असर पर भी चर्चा होगी। अधिकारियों का कहना है कि सम्मेलन का आयोजन सात नवंबर से 11 नवंबर तक दिल्ली में होगा।
अधिकारियों ने कहा कि इसमें सेना को भविष्य के लिए तैयार करने से संबंधित आवश्यक बदलाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी ताकि संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सके। सेना के मुताबिक सम्मेलन के तहत तय गतिविधियों में प्रख्यात विषय विशेषों के साथ ‘भारत-चीन समसामयिक संबंधों’ पर वार्ता करना और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष तकनीकी चुनौतियां’ जैसे विषय को शामिल किया गया है।
क्षमता विकास और सेना की संचालन तैयारियों को बढ़ाने के लिए विशिष्ट योजना को लेकर भी मंथन होगा। सैन्य कमांडर सम्मेलन साल में दो बार होने वाला एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम है। अधिकारियों ने कहा कि सम्मेलन में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ कुछ बिंदुओं पर जारी गतिरोध के मद्देनजर उसके साथ लगी 3400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सैन्य तैयारियों की व्यापक समीक्षा की जाएगी।
डिफेंस मिनिस्ट्री के अफसरों का ये भी कहना है कि सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधक अभियान समेत इसके समग्र हालात पर भी व्यापक चर्चा की जाएगी। सेना की ओर से कहा गया कि कि सम्मेलन में भरतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा और उभरते सुरक्षा हालात के अलावा प्रशासनिक पहलुओं पर मंथन करेगा ताकि भारतीय सेना के भविष्य की राह का खाका तैयार किया जा सके।
अंडमान एंव निकोबार कमान भारत की इकलौती कमान है जिसमें तीनों सेनाएं शामिल हैं। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और नौसेना तथा वायुसेना के प्रमुख भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे ताकि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ावा दिया जा सके।


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