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असीमानंद समेत 5 आरोपी बरी 

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक अदालत ने वर्ष 2007 में यहां की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट मामले के सभी पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया

असीमानंद समेत 5 आरोपी बरी 
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हैदराबाद। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक अदालत ने वर्ष 2007 में यहां की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट मामले के सभी पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया। इस आतंकवादी घटना में जान गंवाने वाले नौ लोगों के परिजन 11 साल से न्याय की उम्मीद लगाए हुए थे, मगर उन्हें निराशा हाथ लगी है, क्योंकि ये पांच निर्दोष हैं तो दोषी कौन है, इसका जवाब उन्हें नहीं मिल पाया है। 18 मई, 2007 को प्रतिष्ठित चारमीनार के पास स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। अदालत ने असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया है। इन पर एनआईए ने शक्तिशाली विस्फोट करने का आरोप लगाया था।

तीन आरोप-पत्र किए गए थे दाखिल

गौरतलब है कि पुलिस को घटनास्थल से दो विस्फोटक भी मिले थे। विस्फोट के बाद मस्जिद के बाहर भीड़ पर पुलिस की गोलीबारी से पांच अन्य लोग भी मारे गए थे। इस मामले में आठ आरोपी थे, जिनमें से एक आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की जांच के दौरान हत्या हो गई थी। दो अन्य आरोपी संदीप वी. दांगे और रामचंद्र कालसंगरा अभी भी फरार हैं। यह फैसला एनआईए द्वारा दायर आरोपपत्र के संबंध में आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और एनआईए द्वारा कुल तीन आरोपपत्र दायर किए गए थे, जिनमें समय के साथ कई मोड़ आते रहे। इस मामले की प्रारंभिक जांच पुलिस ने शुरू की थी, जिसने हरकतुल जिहाद इस्लामी संगठन को दोषी ठहराया था। इस मामले में लगभग 100 मुस्लिम युवक पुलिस के लपेटे में आए थे। इन्हें वर्ष 2008 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में सभी को बरी कर दिया गया था।

4 अप्रैल, 2011 को एनआईए को सौंपा गया मामला

वर्ष 2010 में सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ था कि मस्जिद में विस्फोट हिंदू दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत का कारनामा था। कांग्रेस ने इसे 'भगवा आतंकवाद' नाम दिया, तो भाजपा मिलमिला उठी थी। इसके बाद 4 अप्रैल, 2011 को यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया था। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता बदलते ही देश को अंदाजा लग गया था कि अब मालेगांव विस्फोट, मक्का मस्जिद व समझौता एक्सप्रेस विस्फोट जैसे मामलों में कैद भगवाधारियों की रिहाई तय है। पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जेल से छूटीं और अब स्वामी असीमानंद को अभयदान। सबका हो कल्याण। लेकिन सवाल अब भी बरकरार है कि मक्का मस्जिद विस्फोट में जान गंवाने वाले नौ लोगों के परिजनों और घायल हुए 58 लोगों को न्याय कब मिलेगा?

हिन्दू-द्रोहियों के मुंह पर तमाचा : विहिप

विश्व हिन्दू परिषद् के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष वकील आलोक कुमार ने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में आए अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे हिन्दू द्रोही कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के मुंह पर करारा तमाचा करार दिया है। कुमार ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि हिन्दू आतंकवाद का सगूफा रच कर निर्दोष हिन्दुओं को फंसाने के षडयंत्र की आड़ में विस्फोट करने वाले वास्तविक अपराधियों को बचा ले गई तत्कालीन कांग्रेस सरकार। असली अपराधियों के छूटने पर यदि कोई सर्वाधिक प्रसन्न हुआ था, तो वह था पाकिस्तान, जिसके लोग आसानी से भागने में सफल रहे।


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