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49 हस्तियों ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, लिंचिंग और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर जताई चिंता​​​​​​​

फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल, मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी और इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 49 बड़ी हस्तियों ने पीएम मोदी को खुला पत्र लिखा

49 हस्तियों ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, लिंचिंग और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर जताई चिंता​​​​​​​
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नयी दिल्ली। फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल, मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी और इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 49 बड़ी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर देश में पीट-पीट कर मार डालने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है।

मोदी को लिखे गये इस पत्र में उनसे देश में ऐसा माहौल बनाने की अपील की गयी है जहां असहमति को कुचला नहीं जाये। पत्र के अनुसार, “शांतिप्रिय और गौरवमय भारतीय होने के नाते हम अपने प्यारे देश में हाल के दिनों में हुई कई दुखद घटनाओं को लेकर बहुत चिंतित हैं। हमारा संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र बताता है, जहां हर धर्म, समूह, लिंग, जाति के लोग समान हैं।

इस पत्र में मांग की गयी है कि मुसलमानों, दलितों और दूसरे अल्पसंख्यकों की पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं पर तुरंत रोक लगायी जाये। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि एक जनवरी 2009 से लेकर 29 अक्टूबर 2018 के बीच धर्म की पहचान पर आधारित 254 अपराध दर्ज किये गये जिनमें 91 लोगों की हत्या हुई और कम से कम 579 लोग घायल हुए। इनमें से 62 फीसदी मामलाें में मुसलमान शिकार बने।

इन हस्तियों ने पत्र में लिखा कि पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में आलोचना किया जाना काफी नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाये जाने जरूरी हैं।

पत्र में लिखा गया है, “ प्रधानमंत्री जी, आप ऐसी घटनाओं की संसद में आलोचना करते हैं लेकिन इतना काफी नहीं है। ऐसा जुर्म करने वालों के खिलाफ वास्तव में क्या कदम उठाये गये हैं।”

हस्तियों का कहना है, “अफसोसनाक है कि ‘जय श्री राम’ एक भड़काऊ ‘युद्धघोष’ बन गया जिससे कानून-व्यवस्था की समस्याएं आ रही हैं। जय श्री राम के नाम पर कई लोगों को पीट-पीट कर मार डाला गया है।”

पत्र में कहा गया है, “अगर कोई सत्तारूढ़ दल अथवा सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे देशद्रोही या शहरी नक्सल घोषित नहीं किया जाना चाहिए। संविधान का अनुच्छेद 19 वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है।”


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