गरीब कल्याण रोजगार अभियान की 47 फीसदी राशि खर्च, 26.96 करोड़ मानव दिवस सृजित
देश के छह राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी मजदूरों को आजीविका का साधन मुहैया करवाने के मकसद से शुरू किए गरीब कल्याण रोजगार अभियान के कुल बजट की 47 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है

नई दिल्ली। देश के छह राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी मजदूरों को आजीविका का साधन मुहैया करवाने के मकसद से शुरू किए गरीब कल्याण रोजगार अभियान के कुल बजट की 47 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है जिससे अब तक 26.96 करोड़ मानव दिवस का सृजन हुआ है। कोरोना काल में शहरों से गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए शुरू की गई इस अल्पावधि स्कीम से जरूरतमंदों को रोजी-रोटी का सहारा मिलने के साथ-साथ गांवों की बुनियादी संरचनाओं का भी विकास हो रहा है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत अब तक एक लाख से अधिक जल संरक्षण व संचयन कार्यों की बुनियादी संरचनाएं तैयार की गई हैं। इसी प्रकार, कई अन्य प्रकार की बुनियादी संरचनाएं तैयार गई हैं। इस अभियान के तहत 25 तरह के कार्यों को शामिल किया गया है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 10 सितंबर तक 23,343.68 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को बिहार के खगड़िया जिले से गरीब कल्याण रोजगार अभियान का शुभारंभ किया था। देश के छह राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी मजदूरों को आजीविका का साधन मुहैया करवाने के मकसद से शुरू किए गए 125 दिवसीय इस अभियान का कुल बजट 50,000 करोड़ रुपये है।
इस प्रकार, कुल बजट की 46.68 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है। साथ ही, इससे अब तक 26.96 करोड़ मानव दिवस का सृजन हुआ है। एक व्यक्ति द्वारा एक कार्य दिवस के दौरान किए गए कार्य को एक मानव दिवस कहा जाता है।
देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों के औद्योगिक क्षेत्रों से कोरोना काल में घर वापस लौटे करीब 30 फीसदी मजदूर अब तक वापस शहर का रुख नहीं किए हैं। यह जानकारी औद्योगिक संगठनों ने दी। उनका कहना है कि गांवों मंे रोजगार के साधन मिल जाने के कारण मजदूर वापस नहीं लौट रहे हैं।
गरीब कल्याण रोजगार अभियान में बिहार के 32 जिले, उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्यप्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, ओडिशा के चार और झारखंड के तीन जिले शामिल हैं।


