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समग्र शिक्षा अभियान के लिए 4450 करोड़ रुपये

केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के लिए 4450 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ हुई एक अहम बैठक में लिया गया

समग्र शिक्षा अभियान के लिए 4450 करोड़ रुपये
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के लिए 4450 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ हुई एक अहम बैठक में लिया गया। मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा राज्यों के शिक्षा मंत्रियों तथा सचिवों के साथ विडियो कांफ्रेंस द्वारा मंगलवार को एक बैठक की गई। इस बैठक में 22 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों एवं 14 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों ने भाग लिया।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "समग्र शिक्षा के अंतर्गत हमने राज्यों को पिछले वर्ष की शेष राशि को व्यय करने की अनुमति दी है। वहीं प्रथम तिमाही के लिए 4450 करोड़ रुपये की राशि भी जारी की जा रही है ।"

उन्होंने कहा, "मेरा राज्यों से यह अनुरोध रहेगा की समग्र शिक्षा योजना के अंतर्गत जारी राशि को तुरंत राज्य कार्यान्वयन समिति को हस्तांतरित करें, जिससे इसका सदुपयोग हो सके तथा हमें अगली किश्तें जारी करने में सुविधा हो ।"

निशंक ने कहा, "हमारा पूरा प्रयास रहना चाहिए कि हमारे लगभग 30 करोड़ छात्र छात्राओं कि शिक्षा में कोई बाधा न आए। इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं जैसे दीक्षा, स्वयं, स्वयंप्रभा, विद्यादान 2.0, ई-पाठशाला, शैक्षिक टीवी चैनल शुरू किए गए हैं।"

इसके अतिरिक्त वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर को भी एनसीईआरटी द्वारा जारी किया गया है। जिसे राज्य अपनी स्थानीय परिस्थिति के अनुसार अपना सकते है। स्कूलों के खुलने की स्थिति में सुरक्षा गाईडलाइंस भी तैयार करनी होंगी।

लॉकडाउन की स्थिति में भी बच्चों को पर्याप्त और पोष्टिक भोजन मिलता रहे, इसके लिए मध्यान भोजन के अंतर्गत राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है । ग्रीष्मावकाश में भी मध्याह्न् भोजन उपलब्ध करने हेतु स्वीकृति दी जा रही है, जिसपर कुल लगभग 1600 करोड़ रुपये का व्यय आएगा। इसके अतिरिक्त मध्याह्न् भोजन योजना के अंतर्गत प्रथम तिमाही हेतु 2500 करोड़ रुपये की जारी की जा रही है ।

साथ ही जिन राज्यों में केंद्रीय विद्यालय तथा नवोदय विद्यालय स्वीकृत हैं ,परन्तु भूमि न होने के कारण शुरू नहीं किए जा सके या कम क्षमता पर चल रहे हैं, उनसे अनुरोध किया गया है कि जल्दी भूमि स्थानांतरित करें, जिससे उस राज्य के बच्चों को उसका लाभ मिल सके।


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