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एक शिक्षक के भरोसे १४४ बच्चों की पढ़ाई

कोरिया जिले के वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले छात्र छात्राआें की शिक्षा व्यवस्था कैसी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है

एक शिक्षक के भरोसे १४४ बच्चों की पढ़ाई
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मनेन्द्रगढ़/जनकपुर। कोरिया जिले के वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले छात्र छात्राआें की शिक्षा व्यवस्था कैसी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवमीं और दसवीं के १४४ बच्चों को पढ़ाने के लिये एकमात्र शिक्षक ही नियुक्त है। इस स्कूल में शिक्षा विभाग द्वारा पांच शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी जिनमें से दो शिक्षक स्कूल ही नही आते और दो शिक्षकों ने अपनी पहुंच का लाभ उठाते हुये अपनी पसंदीदा जगह अपना स्थानांतरण करवा लिया। जिससे पूरे सत्र भर महज एक शिक्षक के भरोसे इस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा रहा।

भरतपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रामगढ़ में संचालित हाईस्कूल में कक्षा नवमीं में बहत्तर व कक्षा दसवीं में बहत्तर छात्र छात्राएं अध्ययनरत् हैं। इन बच्चों के सपनों को साकार करने के लिये शिक्षा विभाग द्वारा यहां पांच शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इनमें से अंग्रेजी विषय के लिये सत्तर सिंह के साथ चार अन्य की भी नियुक्ति की गई थी। जिसमें से दो शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। वहीं दो लोगों ने अपना ट्रांसफर करवा लिया।

अब इस स्कूल को सत्तर सिंह ही अकेले चला रहे हैं। जो कि पूरे साल भर नवमीं व दसवीं के छात्र-छात्राआें को पूरे साल पढ़ाया। जिस भवन में हाईस्कूल संचालित होता है उस भवन का अभी तक विभागीय तौर पर हस्तांतरित नही किया गया। लगभग लाख रूपये की लागत से बने इस स्कूल का हस्तांतरण क्यों नही किया गया यह भी जांच का विषय है। स्कूल तो संचालित है लेकिन हैरत वाली बात तो यह है कि यहां इतनी संख्या में छात्राआें के नाम दर्ज होने के बावजूद भी छात्राआें के लिये शौचालय तक की व्यवस्था नही है।

एेसे में छात्राआें को बड़ी शर्मिंद्गी उठानी पड़ती है। स्कूल परिसर में छात्र छात्राआें के लिये मूलभूत सुविधाआें का भी अभाव है। न तो यहां पीने के लिये समुचित पेयजल की व्यवस्था है और न ही स्कूल में लगे पंखों और लाईट का उपयोग यहां के छात्र छात्राएं कर पाते हैं। दरअसल अभी तक स्कूल परिसर में विद्युत कनेक्शन नही लिया गया जिसके चलते विद्युत उपकरण बिना उपयोग के ही खराब हो रहे हैं।

स्कूल परिसर की इन समस्याआें को लेकर कई बार जन समस्या निवारण शिविर व लोक सुराज शिविर के साथ ही साथ स्थानीय अनुविभागीय अधिकारी को भी इस संबंध में शिकायत की गई, लेकिन अभी तक व्यवस्था बनाने की दिशा में कोई पहल नही की गई, जिसके चलते छात्र छात्राआें को शौच के लिये बाहर जाना पड़ता है। स्कूल में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते वर्ष इस स्कूल में कक्षा दसवीं का परीक्षा परिणाम महज प्रतिशत ही रहा। इस वष कैसा परीक्षा परिणाम आयेगा इसका सजह ही अनुमान लगाया जा
सकता है।


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