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ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित थे अस्पतालों के 4036 बेड

दिल्ली में ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति के लिए राज्य सरकार ने कई जोन में रिस्पांस पॉइंट बनाए हैं

ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित थे अस्पतालों के 4036 बेड
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नई दिल्ली। दिल्ली में ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति के लिए राज्य सरकार ने कई जोन में रिस्पांस पॉइंट बनाए हैं। जब भी किसी अस्पताल से ऑक्सीजन के लिए कोई इमरजेंसी काल आती है तो मायापुरी और राजघाट रिस्पांस पाइंट से रिजर्व ऑक्सीजन स्टॉक भेजा जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बताया कि दिल्ली में जिन-जिन अस्पतालों से ऑक्सीजन की एसओएस कॉल आयीं उनमें कुल 4036 ऑक्सीजन बेड हैं। यानी कि जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो रही थी वहां पर 4036 मरीज ऑक्सीजन के सहारे अपना इलाज करा रहे थे। पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाकर यहां लगभग 4036 लोगों की जान बचाई गई है।

राघव ने कहा कि हमने एसओएस कॉल को दूर करने के लिए एक टीम भी बनाई है। ऑक्सीजन वार रूम को आईएएस अधिकारी चला रहे हैं। दिल्ली सरकार के वरिष्ठ और योग्य आईएएस अधिकारियों की टीम लगातार दिन-रात एसओएस कॉल से जुड़ी दिक्कत को दूर करती है। ऑक्सीजन का वितरण कराने का पूरी जद्दोजहद करती। अधिकारी 24 में से 23 घंटे काम कर रहे हैं।

राघव चड्ढा ने कहा कि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को एक विशेष क्रायोजेनिक टैंकर में लाया जाता है। इस समय हिंदुस्तान में 1631 क्रायोजेनिक टैंकर हैं। यह जानकारी खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दर्ज करके दी है। टैंकरों की संख्या हमारे देश की ऑक्सीजन की जरूरत से 3 गुना ज्यादा है। 1631 टैंकर कुल 23 हजार मैट्रिक टन ऑक्सीजन को भी कहीं पर ले जा सकते हैं। जबकि आज इनका उपयोग मात्र 8500 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को लाने ले जाने में किया जा रहा है। यानी कि हमारे पास हमारे देश में क्रायोजेनिक टैंकर की कोई कमी नहीं है। इस आपातकाल में क्रायोजेनिक टैंकर राष्ट्रीय संपति हैं। इन क्रायोजेनिक टैंकरों पर वर्तमान में राज्य सरकारों ने कब्जा किया हुआ है। इन क्रायोजेनिक टैंकरों का ठीक से वितरण नहीं हो पा रहा है। केंद्र सरकार ने जिस हिसाब से ऑक्सीजन का वितरण किया है उसी हिसाब से ऑक्सीजन का वितरण भी होना चाहिए।

राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली एक उद्योगिक राज्य नहीं है, यह दिल्ली हाईकोर्ट ने भी माना है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले कहा कि क्योंकि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है। दिल्ली के अंदर कोई स्टील प्लांट और कोई ऑक्सीजन के प्लांट नहीं हैं। इसलिए दिल्ली के अंदर ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं होता है। जिसकी वजह से दिल्ली की सड़कों पर क्रायोजेनिक टैंकर नहीं दौड़ते हैं। ऑक्सीजन मुहैया कराना और यह टैंकर मुहैया कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जिस हिसाब से ऑक्सीजन का आवंटन किया है उसी तरीके से क्रायोजेनिक टैंकर का आवंटन भी हर राज्य में किया जाए। भारत सरकार इन 1631 टैंकरों को राष्ट्रीय संपत्ति मानकर पूरा नियंत्रण और वितरण करे।


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