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सर्पदंश से 4 लोगों की मौत

मौसम में उमस का वातावरण आने के साथ-साथ अब लोग सर्पदंश का शिकार होना शुरू हो गये हैं......

सर्पदंश से 4 लोगों की मौत
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बारिश शुरू होते ही निकलने लगे विषधर
अम्बिकापुर। मौसम में उमस का वातावरण आने के साथ-साथ अब लोग सर्पदंश का शिकार होना शुरू हो गये हैं। प्रतिवर्ष सरगुजा में दर्जनों लोगों की मौत सर्पदंश से हो जाती है। इस वर्ष भी इसका सिलसिला शुरू हो गया है। गुरूवार की रात बलरामपुर क्षेत्र में दो व सीतापुर क्षेत्र में दो अन्य लोगो की मौत सांप के काटने से हो गई। बुधवार को भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी।

जानकारी के अनुसार बलरामपुर क्षेत्र के ग्राम मगरहारा निवासी भंजय राम पिता शिवशंकर बरगाह उम्र 25 वर्ष गुरूवार की रात 8 बजे खाना खाकर जमीन पर बिस्तर लगा सो रहा था। उसी दौरान उसे करैत सांप ने काट लिया। उसे बलरामपुर से मेडिकल कॉलेज अस्पताल रिफर किया गया, जहां शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गई। दूसरे मामले में बलरामपुर क्षेत्र के ही खडियाडीह निवासी रामधनी पिता बलदेव कोडाकू उम्र 25 वर्ष गुरूवार को ग्राम डुमरखी में मेहमानी करने आया था। खाना खाने के बाद वह भी जमीन पर सो रहा था। तड़के 4.30 बजे उसे करैत सांप ने काट लिया। सांप के काटने से जब उसकी नींद खुली तो करैत सांप बिल में घुसता हुआ नजर आया। उसे बलरामपुर से मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

तीसरे मामले में सीतापुर क्षेत्र के ग्राम ढेकीटोली निवासी शिव भंजन नागवंशी पिता रामेश्वर नागवंशी गुरूवार को घर के समीप अपने दुकान में सोने गया था। रात करीब 11 बजे उसे सांप ने काट लिया। वह तत्काल मोटरसायकल से घर आया और परिजनों को बताया कि उसे सांप ने काट लिया है। परिजन उसे सीतापुर अस्पताल ले गये, वहां से मेडिकल कॉलेज अस्पताल रिफर कर दिया गया। शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गई। एक अन्य मामले में सीतापुर क्षेत्र के ही कोट घुईडांड़ निवासी श्यामपति पति जीवन साय गोड़ उम्र 26 वर्ष गुरूवार की रात अपने परिवार के साथ परछी में जमीन पर सोई हुई थी। तड़के उसे सांप ने काट लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने चारों मामलों में मर्ग कायम कर लिया है।

झाड़-फूंक का सहारा
इन चारों मामलो में एक बात सामने आई है कि सर्पदंश के बाद परिजनों ने झाड़-फूंक का सहारा लिया, जिससे उपचार में देरी हुई और गंभीर लोगों की मौत हो गई। सरगुजा क्षेत्र में प्रतिवर्ष ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिसमें आज भी लोग सांप काटने के बाद झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास में फंसकर जान गवां बैठते हैं।

जमीन पर सोना जोखिमभरा
ग्रामीण अंचलों में गर्मी की वजह से लोग जमीन पर ही सोना पसंद करते हैं। देखा गया है कि जमीन पर सोने वाले लोग ही अधिकांश तौर पर सांप के काटने का शिकार होते हैं। बावजूद इसके अभी भी लोग जमीन पर सोना नहीं छोड़े हैं। गर्मी और उमस का जो वातावरण है इससे आने वाले समय में सर्पदंश से मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है।


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