थाईलैंड में गुफा से 4 बच्चे सुरक्षित निकाले गए
थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में 23 जून से फंसे 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को बाहर निकालने के लिए अब गोताखोरों की मदद ली जा रही है

चिरांगराई (थाईलैंड)। थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में 23 जून से फंसे 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को बाहर निकालने के लिए अब गोताखोरों की मदद ली जा रही है। गोताखोरों की मेहनत रंग ला रही है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, 4 बच्चों को गुफा से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। अब भी 8 बच्चे और एक कोच गुफा के अंदर फंसे हैं। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है। दरअसल तमाम रेस्क्यू ऑपरेशन फेल होने के बाद आनन-फानन में बच्चों को बाहर निकालने के लिए 13 विदेशी गोताखोर और थाइलैंड नेवी सील के 5 गोताखोर लगाए गए। इसमें 10 गोताखोर पहले चरण में अभियान को अंजाम दिया। प्लान के मुताबिक, ये गोताखोर गुफा के अंदर पहुंचे और वहां से दो गोताखोरों की मदद से एक-एक कर बच्चों को बाहर निकाला। यानी जिन बच्चों को गुफा से सुरक्षित निकाला गया है उनमें एक बच्चे को बाहर निकालने में दो गोताखोर ने मदद की।
गुफा के अंदर चक्कर लगाने में लग रहा 11 घंटे का समय
खबरों के मुताबिक, गोताखोरों को गुफा का एक चक्कर पूरा करने में करीब 11 घंटे का समय लगा। इससे पहले आज देर शाम ( रात 9 बजे के बाद) से केवल एक बच्चे को लेकर दो गोताखोर बाहर आ जाने की उम्मीद थी लेकिन बचाव टीम ने अपने बेहतरीन प्रयास से 4 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। खबरों के मुताबिक, ऑपरेशन 2 दिन तक और चल सकता है।
23 जून से फंसी है फुटबाल टीम
थाईलैंड के गोताखोर इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं और विदेशी गोताखोर ऑक्सीजन टैंक लिए हुए हैं। रेस्क्यू में बचाने के लिए 8 देशों के विशेषज्ञ लगे हुए हैं। बचाव दल में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोप एवं एशिया के अन्य हिस्सों से भी गोताखोर शामिल हैं। दरअसल 'वाइल्ड बोर्स' नाम की यह फुटबॉल टीम गुफा में 23 जून से फंसी है। ये लोग अभ्यास के बाद वहां गए थे और भारी मानसूनी बारिश की वजह से गुफा में काफी पानी भर जाने के बाद वहां फंस गए।
पहाड़ में 100 से अधिक छेद किए गए
बच्चों को निकालना समय से होड़ करने जैसा है क्योंकि मानसूनी वर्षा के पानी से भरी गुफा की जलनिकास व्यवस्था पर पानी फिर सकता है। इस बीच, पहाड़ में 100 से अधिक छेद किए गए हैं ताकि निकलने का एक अन्य मार्ग ढूंढा जा सके और बच्चे डूबी सुरंग में और अंदर जाने को बाध्य नहीं हों।


