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नए कृषि कानूनों के विरोध में महाराष्ट्र के 3000 किसानों ने किया दिल्ली कूच

महाराष्ट्र में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले 3,000 से अधिक किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए दिल्ली की ओर कूच किया है

नए कृषि कानूनों के विरोध में महाराष्ट्र के 3000 किसानों ने किया दिल्ली कूच
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नासिक। महाराष्ट्र में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले 3,000 से अधिक किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए दिल्ली की ओर कूच किया है। आयोजकों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया कि अपने समकक्षों के साथ शामिल होने के लिए महाराष्ट्र से मंगलवार को 1,270 किलोमीटर लंबा 'वाहन जत्था' (जुलूस) चल दिया है।

इसके अलावा बड़ी संख्या में किसानों ने मंगलवार दोपहर को मुंबई में कुछ कॉर्पोरेट घरानों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

एआईकेएस के प्रवक्ता पी.एस. प्रसाद ने कहा कि 2,000 से अधिक किसानों का जत्था वाहनों से सोमवार शाम नासिक से निकला था। अभी जब दिन में वे धुले से राज्य की सीमाओं की ओर बढ़ रहे थे, तब 1,000 से अधिक लोग मालेगांव में शामिल हुए हैं।

हजारों स्थानीय, गैर-किसान और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने किसानों की सुरक्षित यात्रा और उनके सफल होने की कामना भी की।

गुरुवार को दिल्ली पहुंचने के लक्ष्य के साथ महाराष्ट्र की टुकड़ी को उम्मीद है कि काफी और लोग इसमें शामिल होंगे।

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए महाराष्ट्र के किसान पूरे भारत में किसानों के साथ पूर्ण एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। किसान आंदोलन का मंगलवार 27वां दिन है। पिछले चार हफ्तों से दिल्ली की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है।

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को देश के तमाम राज्यों के किसानों का समर्थन मिल चुका है। वहीं अब किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए महाराष्ट्र स्थित नासिक के किसान संगठन ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान कानून वापसी की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार कानूनों में कुछ संशोधन के तैयार है, मगर कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है।


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