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अम्बेडकर में आक्सीजन की कमी से 3 बच्चों की मौत

प्रदेश के डॉ. अम्बेडकर अस्पताल में अॉक्सीजन की कमी के चलते 3 बच्चों की मौत हो गई

अम्बेडकर में आक्सीजन की कमी से 3 बच्चों की मौत
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रायपुर। प्रदेश के डॉ. अम्बेडकर अस्पताल में अॉक्सीजन की कमी के चलते 3 बच्चों की मौत हो गई। जबकि स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना ने बच्चों की मौत के कारण को अलग बताया है। उनका कहना है कि अॉक्सीजन की सप्लाई में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है। वे बच्चों के मौत के कारण पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के बाद सामने कर देंगे। जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें से एक बच्चे को इन्फेक्शन था। दूसरे व तीसरे बच्चे का हार्ट कमजोर था इस वजह से मौत हुई है। लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि अॉक्सीजन सप्लाई में अवश्य दबाव कम था। इसी के चलते काम में लापरवाही बरतने वाले अॉक्सीजन आपरेटर कर्मचारी रवि चंद्रा को निलंबित किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वे जल्द अन्य जानकारियों को साझा करेंगे।

गौरतलब है कि उ.प्र. में अॉक्सीजन की कमी के चलते सिलसिलेवार ढंग से 4 बच्चों के मौत का मामला सामने आया था। इसकी आंच छत्तीसगढ़ में भी सामने आ गई है और प्रदेश के एक मात्र सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा में अॉक्सीजन के कमी के कारण 3 बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों की मौत रविवार देर शाम से लेकर सोमवार की सुबह के दरम्यान हुई है। उक्त बच्चों को अस्पताल के शिशु वार्ड में आक्सीजन व वेंटीलेटर पर रखा गया था। शिशु वार्ड में इस समय करीब 25 से अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। अब उनकी माताओं में भी उक्त बच्चों की मौत के बाद डर का माहौल निर्मित हो गया है।

यहां तक कि कुछेक परिजन बच्चों को लेकर अन्य अस्पताल में ले जाने के लिये प्रबंधन से मांग कर दी है। इधर घटना की सूचना मिलने के बाद प्रदेश स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना एवं अस्पताल अधीक्षक विवेक चौधरी सहित आला अधिकारी पहुंच गये और बच्चों के मौत के कारणों को परखा जा रहा है। सचिव ने कहा है कि पोस्ट मार्टम के बाद बच्चों की मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी। फिलहाल पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी और एक डर का माहौल छा गया है। घटना में जिन बच्चों की मौत हुई है उनके नाम सार्वजनिक नहीं किये गये है। जबकि काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी रवि चंद्रा को निलंबित किया गया है और गिरफ्तारी की गई है।

सूत्रों से सूचना है कि अॉक्सीजन आपरेटर रवि चंद्रा को रविवार को ही शराब के नशे में ड्यूटी करने के चलते हटा दिया गया था और पुलिस के हवाले किया गया था। इधर घटना को संज्ञान में लेते हुए प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जांच के आदेश दे दिए है। अस्पताल के चिकित्सक उक्त मामले में कुछ कहने से घबरा रहें हैं। एक चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी के चलते हुई है।

इस घटना में एक और बात सामने आई है कि शिशु वार्ड में ड्यूटी कर रही एक महिला चिकित्सक ने आक्सीजन की कमी को पाया और आपरेटर से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन वह कार्य में अनुपस्थित मिला। यहां तक कि स्वयं डॉक्टर ने आक्सीजन को आपरेट कर कुछ हद तक स्थिति संभालने की कोशिश की परंतु आक्सीजन की कमी पूर्णत: दूर नहीं किया जा सका था। इस वजह से बच्चों की मौत हुई। साथ ही आक्सीजन सप्लाई कमी में मेकाहारा स्टाप नर्स, नर्स और वार्ड ब्वाय की लापरवाही भी उजागर हुई है।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घटना के जांच के आदेश दे दिए है। उनका कहना है कि कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ में बच्चों के निधन पर दु:ख जताया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों के मौत के कारण पता लग पाएगा। फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

टीआई ने खोले छुपे राज कहा- महकमे में कई शौकीन

राज्य शासन द्वारा पिछले दिनों बर्खास्त 42 की सूची में शामिल नाम नहीं बताने की शर्त पर एक अधिकारी के बयान ने हडक़म्प मचा दिया है। इस अधिकारी ने आरोप लगाया है कि महकमे में शौकीन व रंगीन मिजाज के अधिकारियों व मंत्रियों के लिये दबाव बनाया जाता था। इंकार करने पर कई तरह की मानसिक परेशानियां दी गई जिसमें निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक शामिल है।

प्रशासन में पहुंच रखने वाले अधिकारी का दबदबा इस प्रकार का है कि उनके आगे कई अन्य महिला कर्मचारी अपने आप बीती को कहने से घबराती है। यहां तक कि इन 42 की सूची में ज्यादातर हरिजन आदिवासी समूह के शामिल है जिन्हें बर्खास्त किया गया। फिलहाल वे अनुसूचित जाति आयोग और पिछड़ा आयोग समेत दफ्तरों में गुहार लगाकर न्याय के लिये अपील करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बर्खास्त एक महिला टीआई ने पुलिस विभाग में वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप लगाया है कि वे देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं की सप्लाई वरिष्ठ अधिकारी , उच्च पदस्थ अधिकारी, मंत्री के लिये दबाव बनाया जाता था।

कई बार विरोध हुआ जिसकी प्रताडऩा झेलना पड़ रहा है। विभाग में कई ऐसे अफसर हैं जो वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ है। इसका राज निकालने पर सारी हकीकत सामने होगी। उक्त महिला अधिकारी का कहना है कि 42 बर्खास्त अधिकारी-कर्मचारी में योग्यता को नहीं बल्कि मांग को आधार बनाकर हटाया गया है। यहां तक कि निर्भीक महिला अधिकारी ने कहा कि विभाग में कई ऐसी महिला कर्मचारी और अधिकारी हैं जो इस प्रकार की यातना के शिकार हो चुके हैं। हर कोई विरोध नहीं करता। लेकिन इस बार बर्खास्तगी ने स्वर तेज करने के लिये विवश कर दिया है। जिसमें आगे के परिणाम को जानते हुए यह कदम उठाए जा रहे है।

उम्मीद है कि जिस अफसर के खिलाफ आवाज बुलंद की है उसमें न्याय का साथ मिल पाएगा। हालांकि महकमे में ऊंची पहुंच रखने वाला अफसर पहले कई बार अपने प्रभाव का उपयोग कर अन्य अधिकारियों को परेशान कर चुका है।


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