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26/11 मुंबई हमला : कानून के लंबे हाथ आखिरकार आरोपी तहव्वुर राणा तक पहुंचे

कानून के लंबे हाथ अंततः पाकिस्तानी-कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर हुसैन राणा तक पहुंच ही गए

26/11 मुंबई हमला : कानून के लंबे हाथ आखिरकार आरोपी तहव्वुर राणा तक पहुंचे
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नई दिल्ली। कानून के लंबे हाथ अंततः पाकिस्तानी-कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर हुसैन राणा तक पहुंच ही गए, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले का आरोपी है। राणा का प्रत्यर्पण पिछले एक दशक में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अथक प्रयासों का परिणाम है और यह वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती हुई प्रतिष्ठा का संकेत है।

राणा पर पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली को 2008 हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।

हालांकि हमलों के लिए भौतिक सहायता उपलब्ध कराने के आरोप से अमेरिकी जूरी ने राणा को बरी कर दिया था, लेकिन उसे दो अन्य आरोपों में दोषी पाया गया, जिसके लिए उसे 10 वर्ष से अधिक कारावास की सजा सुनाई गई।

कोविड-19 महामारी के बाद खराब स्वास्थ्य के कारण उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया था, लेकिन भारत प्रत्यर्पण के लिए उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।

दूसरी ओर, हेडली ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक समझौते के तहत प्रत्यर्पण के खिलाफ गारंटी हासिल कर ली थी।

18 अक्टूबर 2009 को, राणा और हेडली दोनों को शिकागो के ओ'हारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आतंकवाद से संबंधित कई आरोपों में गिरफ्तार किया गया। ये आरोप 2008 के मुंबई हमलों और कोपेनहेगन में जाइलैंड्स-पोस्टेन पर योजनाबद्ध हमले में उनके शामिल होने से जुड़े थे।

हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की भारत में प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचने की उसकी अंतिम कोशिश भी नाकाम हो गई थी।

भारत में जांचकर्ताओं का हमेशा से मानना रहा है कि राणा हेडली से 'बड़ा अपराधी' है और उसका भारत प्रत्यर्पण देश के आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए एक बड़ी सफलता होगी।

1961 में पाकिस्तान में जन्मा राणा, पाकिस्तानी सेना में एक डाक्टर के तौर पर काम कर चुका है। बाद में वह कनाडा चला गया और इमिग्रेशन सर्विस व्यवसायी बन गए।

आतंकी हमलों से पहले, वह मुंबई गया था और ताज होटल में रुका था, जो जगहों में से एक था, जहां 26 नवंबर, 2008 को लश्कर आतंकियों ने हमला किया था।

राणा के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली (जन्म नाम दाऊद सईद गिलानी) ने मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और उसे 2013 में संघीय जेल में 35 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उसकी यह दलील कि उसे भारत, पाकिस्तान या डेनमार्क प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए, अमेरिकी अदालत ने स्वीकार कर ली।

बता दें 26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। उन्होंने दो पांच सितार होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया।

हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था जिनमें से 9 को मार गिराया गया।

हमले में शामिल एक आतंकी अजमल कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया जिसे 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दे दी गई।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान भारत को उसके प्रत्यर्पण की घोषणा की थी। उन्होंने पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके प्रशासन ने ‘दुनिया के सबसे बुरे व्यक्ति’ राणा को ‘भारत में न्याय का सामना करने के लिए’ प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी है।


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