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पालघर साधुओं की लिंचिंग मामले में 25 आरोपियों को जमानत नहीं

दहाणु सेशंस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.एच. केलुस्कर ने 16 अप्रैल को दो 'साधुओं' और उनके ड्राइवर की लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या) के संबंध में 25 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी

पालघर साधुओं की लिंचिंग मामले में 25 आरोपियों को जमानत नहीं
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पालघर (महाराष्ट्र)। दहाणु सेशंस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.एच. केलुस्कर ने 16 अप्रैल को दो 'साधुओं' और उनके ड्राइवर की लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या) के संबंध में 25 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। अधिकारियों ने यहां बुधवार को यह जानकारी दी। विशेष लोक अभियोजक सतीश मानेशिंदे ने आईएएनएस को बताया कि सभी आरोपियों ने तकनीकी आधार पर जमानत मांगी थी, जिसे मंगलवार को दहाणु सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया।

जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए, मानेशिंदे ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ कई सबूत एकत्र किए थे, जिसमें मोबाइल कॉल डेटा रिकॉर्ड और अन्य तकनीकी सबूत शामिल थे।

इन सबूतों की जांच से यह साबित हुआ कि उस रात पालघर के कासा में गडचिंचल गांव के पास घटना के समय आरोपी मौजूद थे, जब 500 की भीड़ ने दोनों साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

बाद में, 150 से अधिक लोगों को कासा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और मामले को राज्य की अपराध जांच विभाग को सौंप दिया गया।

उस त्रासदी वाली रात को जूना अखाड़े के कल्पवृक्षगिरि महाराज (70), उनके सहायक सुशीलगिरि महाराज (35) और उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े (30) की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

भूलवश उन्हें लुटेरा या अपहर्ता समझकर ग्रामीणों की भारी भीड़ ने उन पर पत्थर, लाठी, दरांती से हमला किया था, जिसके कारण तीनों ने बाद में दम तोड़ दिया।


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