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अलाव और सौहार्द के साथ सिंघु बॉर्डर पर 2021 का स्वागत

केंद्र की ओर से हाल ही में पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से लगती विभिन्न सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन पिछले एक महीने से अधिक समय से जारी है

अलाव और सौहार्द के साथ सिंघु बॉर्डर पर 2021 का स्वागत
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नई दिल्ली। केंद्र की ओर से हाल ही में पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से लगती विभिन्न सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन पिछले एक महीने से अधिक समय से जारी है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बढ़ी ठंड के बावजूद किसानों का जज्बा कहीं से भी कम नहीं दिख रहा है। इस बीच किसानों का नए साल का आगमन भी उनके इस आंदोलन के साथ हुआ है।

अमृतसर निवासी हरप्रीत कौर ने आईएएनएस से कहा, इतिहास में किस मोड पर हमने विरोध नहीं किया है? हमारे लिए, विरोध करने वालों के साथ खड़ा होना महत्वपूर्ण है, जो पंजाबी डीएनए का हिस्सा है।

कौर का कहना है कि फिलहाल उनका परिवार किसी भी तरह की जमीन का मालिक नहीं है, मगर यह विरोध कई और चीजों के लिए भी है।

प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बच्चों से लेकर युवा और व्यस्कों से लेकर बुजुर्ग साल 2020 के अंतिम दिन भोजन, कंबल और अन्य वस्तुओं से भरे वाहनों के साथ धरनास्थल पर पहुंचे।

हालांकि समाधान निकालने के लिए सरकार के साथ चल रही वार्ता के नवीनतम दौर में केंद्र सरकार द्वारा दो मांगों को पूरा करने की सहमति जता दी गई है, मगर किसान अभी भी उनकी तमाम मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं।

आंदोलनरत किसानों के हाथों और उनके वाहनों पर विभिन्न किसान यूनियनों के झंडे देखे जा सकते हैं। किसानों के मोडिफाइड आकर्षक ट्रैक्टर पर बज रहे पंजाबी गानों के बीच स्थानीय बच्चे और फोटोग्राफर भी आकर्षित हो रहे हैं। मुख्यधारा की मीडिया से बात करते समय किसानों की ओर से सामान्य सावधानी बरती जा रही है और इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि उनकी भविष्य की रणनीति क्या होगी।

पंजाब के गुरदासपुर निवासी बलजिंदर सिंह ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से दो मांगों को स्वीकार करने का मतलब यह नहीं है कि हम वापस चले जाएंगे

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब तक कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। गुरदासपुर से बलजिंदर के साथ अन्य कई किसान भी एक महीने से अधिक समय से आंदोलन में शामिल हैं।

आंदोलन स्थल पर किसानों को इंटरनेट संबंधी किसी समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए आसपास के इलाके में वाईफाई का इंतजाम किया गया है। वर्ष के अंतिम दिन वाईफाई शुरू करने के लिए तकनीशियनों की कई टीमें खंभों पर चढ़ी नजर आई।

किसानों को केवल स्थानीय लोगों का ही साथ नहीं मिल रहा, बल्कि कई नामचीन हस्तियां उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए आंदोलन में शामिल हो चुकी हैं। खेल जगत से लेकर गायक और अभिनेता कई बार न केवल आंदोलन में शामिल हो चुके हैं, बल्कि उन्होंने किसानों की हर संभव मदद करने के लिए हाथ भी आगे बढ़ाया है।

पिछले कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ी ठंड के बाद अलाव (बोनफायर) किसानों का बड़ा सहारा बनी हुई है। देर होते ही थोड़ी-थोड़ी दूरी पर किसानों के टोली को अलाव के सामने अपना शरीर गर्म करते देखा जा सकता है।


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