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बॉर्डर पर 10 जिलों से 200 ट्रैक्टरों के साथ 2000 किसान रहेंगे मौजूद : भाकियू

कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे विरोध के दौरान शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर किसान संगठनों के द्वारा महत्वपूर्ण बैठक की गई

बॉर्डर पर 10 जिलों से 200 ट्रैक्टरों के साथ 2000 किसान रहेंगे मौजूद : भाकियू
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गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे विरोध के दौरान शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर किसान संगठनों के द्वारा महत्वपूर्ण बैठक की गई। जिसमें मेरठ ,सहारनपुर ,मुरादाबाद मंडल के 11 जि़लों के जिला अध्यक्षों ने हिस्सा लिया। हालांकि किसान नेता चाहते हैं कि आंदोलन को और मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। बॉर्डर पर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, रामपुर, सम्भल, बिजनोर, अमरोहा जिले के पदाधिकारियों से आंदोलन की आगमी रणनीति पर चर्चा की गयी और किसान आंदोलन से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए।

बैठक में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, "किसान कुर्बानी को तैयार रहें, कृषि कार्य के दबाव में आंदोलन को ठंडा न होने दें। खेती से ज्यादा आंदोलन पर ध्यान दिया जाय। आंदोलन में बॉर्डर पर आने वाले किसानों के कृषि कार्य को प्रभावित न होने दें।"

"आंदोलनरत किसानों के घर के कार्य को दूसरे किसान जिम्मेदारी से पूर्ण करें। एक फसल की कुर्बानी को किसान तैयार रहें।"

वहीं बैठक में तय किया गया कि किसी भी हाल में आंदोलन को कमजोर नही होने दिया जाए, आसपास के 10 जिलों से 2000 लोग हमेशा मौजूद रहेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने आईएनएस को बताया कि, "इस बैठक में ये तय किया गया है कि हर जिले के पदाधिकारी बॉर्डर पर मौजूद रहेंगे। वहीं जिस तरह आंदोलन चल रहा है, उसी तरह महापंचायत के जरिए इसको गांव गांव तक ले जाएंगे।"

"गांव में किसी भी किसान का काम न पीछे रहे और आंदोलन भी इसी तरह चलता रहे। इसके लिए भी कमेटी बनाई हैं, जो बॉर्डर आएगा उस किसान का काम 4 परिवार के लोग देखेंगे।"

दरअसल किसान नेताओं ने किसान आंदोलन में घट रही किसानों की संख्या को बढ़ाने के लिए ये बैठक की।

इसके साथ ही किसान संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा किसानों को आदेशित किया गया कि, "अगर तीनों कृषि बिलों को रद्द कराना है तो सभी किसान एक फसल का त्याग कर आंदोलन में डटे रहे और बिल रद्द होने के बाद ही घर लौटे।"

जिस पर सभी किसानों ने समर्थन देते हुए कहा कि वह सभी बिल रद्द होने तक गाजीपुर बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे और पंचायतों के जरिए किसानों से गाजीपुर पहुंचने की अपील करेंगे।


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