आप के 20 विधायकों की कुर्सी गई
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को राष्ट्रपति से भी बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग के बाद राष्ट्रपति ने भी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है

नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को राष्ट्रपति से भी बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग के बाद राष्ट्रपति ने भी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है। ज्ञात हो कि चुनाव आयोग ने लाभ का पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था। इसके बाद 'आप' ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। जहां न्यायालय ने आप के विधायकों को निर्वाचन आयोग की सिफारिश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था। दरअसल, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 2015 में 'आप' पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करते हुए इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई थी।
भगवान ने इसी दिन के लिए हमें 67 सीटें दी थी : केजरीवाल
आम आदमी पार्टी (आप) के ट्विटर हैंडल पर जारी एक बयान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विट किया, मैंने हमेशा कहा कि यह सब भगवान की कृपा है। उन्हें यह भी पता था कि तीन साल बाद ये लोग हमारे 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर देंगे। इसलिए उन्होंने हमें दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें दी। केजरीवाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा, उन्होंने (भाजपा नीत केंद्र सरकार) हमारे विधायकों पर झूठे आरोप लगाकर हमें काफी परेशान किया। उन्होंने मेरे ऊपर सीबीआई के छापे डलवाए और उन्हें कुछ नहीं मिला। आज उन्होंने हमारे 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।
आयोग का फैसला एकतरफा : आप
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति सेवानिवृत्त होने से पहले सारे रुके हुए काम खत्म करना चाह रहे हैं, इसलिए आयोग फटाफट पुराने मामलों का निपटारा कर रहा है। वह 22 जनवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। हालांकि सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग इसका फैसला नहीं कर सकता, इसका फैसला अदालत में किया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा कि विधायकों का पक्ष नहीं सुना गया। भारतीय संविधान के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है।
देरी से आया निर्णय : माकन
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि यह आप के भ्रष्टाचार का नमूना है। केजरीवाल ने 28 लोगों को मंत्री बना रखा था। यह भ्रष्टाचार का बड़ा नमूना था। यह भाजपा, आम आदमी पार्टी और चुनाव आयोग की सांठगांठ के चलते यह फैसला देरी से हुआ।
तिवारी ने फैसले का किया स्वागत
भाजपा के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने लाभ के पद के मामले में राष्ट्रपति की ओर से आप के 20 विधायकों अयोग्य ठहराये जाने का स्वागत किया है। तिवारी ने कहा कि राष्ट्रपति ने विधायकों के मामले में तेजी से निर्णय लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए बड़ा योगदान किया है।
कांग्रेस-भाजपा चुनाव की तैयारी में
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भाजपा और कांग्रेस 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। दोनों ही पार्टियों ने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। जहां एक ओर लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस विधानसभा में शून्य है। वहीं भादपा के भी 4 विधायक ही दिल्ली विस में मोर्चा संभाले हैं।


