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अमरोहा में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने पर रोष

चीन से वर्ष 1962 के युद्ध में शहीद हुए जवान के परिजनों में सीमा सुरक्षा में तैनात 20 भारतीय जवानों की शहादत पर रोष व्याप्त है।

अमरोहा में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने पर रोष
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अमरोहा। चीन से वर्ष 1962 के युद्ध में शहीद हुए जवान के परिजनों में सीमा सुरक्षा में तैनात 20 भारतीय जवानों की शहादत पर रोष व्याप्त है।

चीन से वर्ष 1962 के युद्ध में देश पर बलिदान होने वालों में अमरोहा के जाट रेजिमेंट के जवान कृपाल सिंह भी शामिल थे। चीन की धोखाधड़ी से नाराज क्षेत्र के बुजुर्गों को भी पुराने जख्म याद आ गए। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कृपाल सिंह की वीरता पर अमरोहा निवासी गर्व भी महसूस कर रहे हैं। शहीद के परिजनों ने कहा कि चीन हमेशा धोखे से हमला करता है।

ग्रामीणों ने गुरूवार को यहां बताया कि कृपाल सिंह में देश सेवा कूट कूट कर भरी थी। चे शादी के चार-पांच दिन बाद ही अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे। उसके बाद घर आना नहीं हुआ। 1962 के चीन के साथ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए। तार के जरिए ही गांव में उनके बारे में सूचना पहुंची थी कि वह युद्ध में शहीद हो गये।

अमरोहा जिले के गजरौला भानपुर निवासी भरे सिंह के छह बेटों में सबसे बड़े कृपाल सिंह थे। वह जाट रेजीमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। बरेली में प्रशिक्षण पूरा होने पर घर लौटे कृपाल सिंह की पिता भरे सिंह ने अमरोहा के ही गांव जगुवा खुद की लाड़वती से शादी कर दी थी। शादी के चार-पांच दिन बाद ही कृपाल सिंह को अपने तैनाती स्थल पर जाना पड़ा। 22 अक्टूबर 1962 को भारत-चीन के युद्ध में शहीद कृपाल सिंह ने देश के नाम प्राण न्योछावर कर दिए।

उनकी वीरता का जिक्र तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 27 अगस्त 1963 को विधवा लाड़वती को भेजे संवेदना संदेश में भी किया था।


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