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यूक्रेन : मारियुपोल स्टील प्लांट से निकाले गए 20 नागरिक

यूक्रेन के मारियुपोल में अजोवस्टल स्टील प्लांट से 20 नागरिकों को निकाला गया।

यूक्रेन : मारियुपोल स्टील प्लांट से निकाले गए 20 नागरिक
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यूक्रेन (Ukraine) के मारियुपोल (Mariyupol) में अजोवस्टल स्टील प्लांट से 20 नागरिकों को निकाला गया। ये जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स ने दी। ऑनलाइन न्यूज पोर्टल उक्रेइंस्का प्रावदा (Ukraineska Pravada) की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार देर रात सोशल मीडिया पर अजोव रेजीमेंट के डिप्टी कमांडर शिवतोस्लाव पालमार ने कहा, "हमने बचाए गए 20 नागरिकों को अलग जगह पर स्थानांतरित कर दिया है। ये महिलाएं और बच्चे हैं। हम आशा करते हैं कि ये लोग सहमत दिशाओं में जाएंगे।"

उन्होंने यह भी दावा किया कि 'दोनों पक्ष क्षेत्र में संघर्ष विराम बनाए हुए हैं।'

डिप्टी कमांडर ने बताया कि "आजोव रेजिमेंट एक विशेष बचाव अभियान चला रही है जिसमें हम मलबे के नीचे दबे नागरिकों को बचा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि प्रक्रिया जारी रहेगी और हम सभी नागरिकों को निकालने में सक्षम होंगे।"

घायल व्यक्तियों के बारे में पालमार ने स्वीकार किया कि उनमें ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें चिकित्सा देखभाल की जरूरत है, "लेकिन हम नहीं जानते कि उन्हें क्यों नहीं ले जाया जा रहा है और यूक्रेन द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में उनकी निकासी का कोई सवाल ही नहीं है।"

"मैं इस बात पर जोर दे रहा हूं कि हम न केवल नागरिकों, बल्कि हमारे घायल सैनिकों को भी जाने की गारंटी मांग रहे हैं, जिन्हें चिकित्सा देखभाल की जरूरत है।"

ऑनलाइन न्यूज पोर्टल उक्रेइंस्का प्रावदा की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन की मीडिया से बात करते हुए एक सैनिक ने कहा कि सबसे अधिक संभावना है कि कई घायल कर्मियों की मौत हो सकती है क्योंकि मेडिक्स के पास कोई ऑपरेटिंग रूम, उपकरण और दवाएं नहीं हैं।

बीबीसी (BBC) की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) द्वारा पिछले सप्ताह बड़े औद्योगिक क्षेत्र को सील करने का आदेश दिए जाने के बाद शनिवार को निकाले गए 20 लोग संयंत्र छोड़ने वाले पहले समूह हैं।

इसमें कथित तौर पर अंदर फंसे 1,000 नागरिकों को मुक्त करने के बारे में बातचीत जारी है।

मारियुपोल के मेयर वादिम बॉयचेंको ने बीबीसी को बताया कि संयंत्र में फंसे लोग जीवन और मौत से जूझ रहे हैं।

"लोग इंतजार कर रहे हैं। वे बचाव के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यह कहना मुश्किल है कि हमारे पास उनकी जान बचाने के लिए कितने दिन या घंटे बाकी हैं।"


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