राजस्थान सरकार के नगर निकाय चुनाव मॉडल का 2 मंत्रियों ने किया विरोध
राजस्थान सरकार के नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव के लिए एक हाइब्रिड मॉडल को लागू करने के फैसले पर राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही है।

जयपुर । राजस्थान सरकार के नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव के लिए एक हाइब्रिड मॉडल को लागू करने के फैसले पर राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही है। उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे ने इसका विरोध किया है। अशोक गहलोत खेमे के माने जाने वाले राज्य मंत्री शांति धारीवाल ने गुरुवार को नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव के लिए एक हाइब्रिड मॉडल को लागू करने की घोषणा की थी, जिसमें मेयर (महापौर), अध्यक्ष या चेयरपर्सन का चुनाव बिना चुनाव लड़े या चुनाव हारने के बाद भी किया जा सकता है।
दो मंत्रियों ने फैसले को लेकर पुन: विचार करने की वकालत की है। उनका कहना है कि उन्हें इस बाबत कार्यकर्ताओं से नकारात्मक फीडबैक मिल रहा है।
इस मॉडल की आलोचना करते हुए राज्य के मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि यह उन कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय करता है, जो जमीन पर कड़ी मेहनत करते हैं।
मीणा ने कहा, "अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले का हर किसी ने स्वागत किया। लेकिन अगले ही दो दिनों में एक हाइब्रिड मॉडल लाने की घोषणा क्यों की गई, यह समझ से परे है।"
उन्होंने कहा, "चुनाव जीतने के बाद सभी कार्यकर्ता उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे मेयर/अध्यक्ष के रूप में नामित होंगे। यह प्रक्रिया अब उनकी उम्मीदों को तोड़ देगी।"
मीणा का समर्थन दूसरे मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने यह कहते हुए किया कि "नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव के लिए एक हाइब्रिड मॉडल को लागू करने के फैसले का पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श नहीं किया गया। यहां तक कि सरकार में भी इस पर बात नहीं की गई। मैं पार्षदों के महत्व को सीमित करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले इस विचार के खिलाफ हूं।"


