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1971 का युद्ध, राष्ट्र उन बहादुरों का ऋणी रहेगा जिन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया : राजनाथ

भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में भारत की शानदार जीत हुई थी

1971 का युद्ध, राष्ट्र उन बहादुरों का ऋणी रहेगा जिन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया : राजनाथ
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नई दिल्ली| भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में भारत की शानदार जीत हुई थी। इस जीत को विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है। शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी शहीदों को नमन करने नई दिल्ली राष्ट्रीय स्थित युद्ध स्मारक पर पंहुचे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले भारत के वीर जवानों को 16 दिसंबर 'विजय दिवस' के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में पुष्पांजलि अर्पित की।

रक्षा मंत्री के साथ रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, रक्षा सचिव गिरिधर अरमने और नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे मौजूद रहे।

इन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने 1971 के युद्ध में बहादुरी से लड़ कर राष्ट्र सेवा में अपना जीवन न्यौछावर करने वाले सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर आगंतुक पुस्तिका में अपने संदेश में रक्षा मंत्री ने लिखा राष्ट्र उन बहादुरों का ऋणी रहेगा जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। हम उनके आदशरें और मूल्यों के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ते रहेंगे।

इससे पहले राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में 1971 के युद्ध को अमानवीयता पर मानवता की जीत, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत बताया था। वहीं अपने संदेश में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लिखा, युद्ध में पाकिस्तान की हार और बांग्लादेश की मुक्ति स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने लिखा, हमारे सशस्त्र बल हमारी मातृभूमि के लिए अधिक से अधिक सफलता व गौरव का कार्य करते रहें और राष्ट्र निर्माण में अथक योगदान दें।


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