जेवर एयरपोर्ट के चलते 1950 परिवार होंगे शिफ्ट
जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण को लेकर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है

ग्रेटर नोएडा। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण को लेकर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में आठ गांव की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इन गांवों में करीब 1950 परिवार को दूसरे जगह शिफ्ट किया जाएगा।
1950 परिवार का मकान जेवर एयरपोर्ट के क्षेत्र में आ रहा है। सामाजिक समाघात निर्धारण टीम इन परिवार के लोगों से बातचीत करके बेहतर स्थान पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय ग्रीन फील्ड जेवर एयरपोर्ट के लिए पहले फेस में 1327 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।
जमीन अधिग्रहण से होने वाले सामाजिक समाघात निर्धारण के लिए शासन में गौतमबुद्धनगर विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की एक टीम गठित किया था। टीम ने गांवों में जाकर जमीन अधिग्रहण से होने वाले सामाजिक प्रभाव को लेकर सर्वे किया था। सर्वे के दौरान पहले निकल कर आया था कि 2952 परिवार को विस्थापित किया जाएगा।
सर्वे टीम में जब आठ गांवों में जाकर जमीन अधिग्रहण का खाका तैयार किया तब निकल कर आया कि आठ में से एक गांव की आशिंक जमीन आ रही है। जिसमें 1950 परिवार का मकान जेवर एयरपोर्ट के तहत आ रहा है। अब इन 1950 परिवारों को ही दूसरे जगह पर शिफ्ट किया जाएगा।
शासन की तरफ से जीबीयू के अलावा जमीन अधिग्रहण को लेकर चार सदस्यीय सामाजिक समाघात निर्धारण टीम भी गठित किया है। टीम में गिरि विकास संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.केएस राव, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत कुमार त्रिवेदी, गांव रोही व पारोही के प्रधान कमलेश देवी, किशोरपुर गांव के प्रधान तेजवीर, आईआईटी रूडकी के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एसपी सिंह, प्रोफेसर जेड रहमान व लोक निर्माण विभाग इंडो नेपाल बॉर्डर के मुख्य अभियंता सत्येंद्र कुमार श्रीवास्तव शामिल है।
इसके अलावा दो गैर सरकारी सामाजिक वैज्ञानिकी, नगर पालिका, नगर पंचायत के दो प्रतिनिधि, पुनर्व्यवस्थापना संबंधी दो विशेषज्ञ और परियोजना से संबंधित विषेशज्ञा भी शामिल होंगे। टीम विस्थापित परिवार को शिफ्ट करने को लेकर योजना तैयार करेंगे।


