अशोक गहलोत की बच गई सत्ता, कैबिनेट में 15 चेहरों को मौका
राजस्थान में सियासी संग्राम समाप्त हो चुका है. गहलोत और पायलट अब साथ आ चुके हैं. लेकिन पायलट को अपनी कुर्सी वापस नहीं मिली है. ना ही उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया है और ना ही कैबिनेट में पद दिया गया है. इसी बीच गहलोत कैबिनेट के विस्तार पर अटकलों का बाजार गरम है. …तो आइए देखते हैं कि कैबिनेट में किसे मिल सकता है मौका…

राजस्थान में भले ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने हाथ मिला लिया हो…सरकार के बहुमत को लेकर जो संशय था वो छंट गया हो. लेकिन विवाद अभी पूरी तरह से नहीं सुलझा है…कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान के मामले को स्थाई तौर पर सुलझाना चाहता है. ऐसे में बहुत जल्द राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल में फेरबदल कर गहलोत और पायलट समर्थकों को संतुष्ट किया जा सकता है….कहा जा रहा है कि राजस्थान कैबिनेट में कुल सदस्यों की संख्या 30 तक हो सकती है. सीएम गहलोत लंबे समय से बहुजन समाज पार्टी से आए हुए विधायकों और समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देना चाह रहे हैं. माना जा रहा है कि बसपा से आने वाले विधायक राजेंद्र गुढ़ा और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से हटाए जाने बाद गुर्जर नेता के रूप में शकुंतला रावत या फिर जितेंद्र सिंह को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. राज्य मंत्री के लिए जोगेंद्र सिंह अवाना और गिरिराज मलिंगा भी कोशिश कर रहे हैं. माना जा रहा है कि सचिन पायलट को छोड़कर आने वाले चेतन डूडी, दानिश अबरार और रोहित बोहरा में से किसी को संसदीय सचिव या राज्य मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, राजकुमार शर्मा जैसे कुछ विधायक भी मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं.सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट अपने खेमे के रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की वापसी चाह रहे हैं जबकि जो दो मंत्रालय उनके पास थे उसकी जगह दो मंत्री हेमाराम चौधरी और दीपेंद्र सिंह शेखावत को भी मंत्री बनावाना चाहते हैं. दोनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. ऐसे में आलाकमान को भी इन्हें मंत्री बनाने में परेशानी नहीं आएगी. इसके अलावा पायलट चाह रहे हैं कि दो राज्य मंत्री और 2 संसदीय सचिव भी उनके खेमे के विधायकों को बनाया जाए. इन नामों में मुरारी लाल मीणा , गजेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर और वेद सोलंकी की चर्चा है. कांग्रेस आलाकमान ही नहीं सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट पर भी मंत्रिमंडल के नामों को लेकर भारी दबाव है. अशोक गहलोत ने बहुत सारे विधायकों को साथ देने पर इनाम देने का वादा कर रखा है. वहीं, सचिन पायलट भी अपने समर्थक विधायकों को सम्मान जनक जगह पर बैठाना चाहते हैं….ऐसे में देखना होगा कि आलाकमान नेताओं के बीच संतुलन कैसे बैठा पाता है.


