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विश्व बैंक की तरफ से केरल को 12.5 करोड़ डॉलर का समर्थन

विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, बीमारी के प्रकोप के खिलाफ केरल की तैयारियों का समर्थन करने के लिए 12.5 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम को मंजूरी दी

विश्व बैंक की तरफ से केरल को 12.5 करोड़ डॉलर का समर्थन
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तिरुवनंतपुरम। विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, बीमारी के प्रकोप और महामारी के खिलाफ केरल की तैयारियों का समर्थन करने के लिए 12.5 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम को मंजूरी दी है। साल 2018 में केरल में आए सदी के सबसे भारी मानसून ने यहां के लगभग पांच करोड़ लोगों को प्रभावित किया था। इससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। इस बाढ़ का सबसे भयावह रूप पंबा नदी बेसिन में देखने को मिला था।

विश्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम के तहत दो प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें अप्रत्याशित रूप से किसी आपदा का सामना करने की स्थिति में राज्य सरकार पर वित्तीय बाधाओं को कम करना और शहरी और स्थानीय स्व-सरकारों के मास्टर प्लान में आपदा जोखिम योजना को सम्मिलित करना शामिल है। दूसरा यह स्वास्थ्य, जल संसाधन प्रबंधन, कृषि और सड़क क्षेत्रों को आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील रुख न अपनाने की दिशा में मदद करेगा।

यह कार्यक्रम राज्य में बैंक द्वारा वित्तपोषित परिचालनों की एक प्रोग्रामेटिक सीरीज का हिस्सा है। जून, 2019 में स्वीकृत इस तरह की पहली केरल विकास नीति संचालन (डीपीओ) ने कई पहल की।

इसने राज्य को एक नदी बेसिन संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम का मसौदा तैयार करने में मदद की, जो जल संसाधनों का संरक्षण और विनियमन करेगा और उनके स्थायी प्रबंधन, आवंटन और उपयोग को सुनिश्चित करेगा। इसने जलवायु के अनुरुप कृषि, जोखिम-सूचित भूमि उपयोग और आपदा प्रबंधन योजना की भी पेशकश की।

कार्यक्रम ने पांच साल के राज्य भागीदारी ढांचे की नींव रखी।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि आज के बढ़ते आर्थिक, जलवायु और स्वास्थ्य संबंधी झटकों के संदर्भ में अर्थव्यवस्थाओं का लचीलापन होना एक नीतिगत अनिवार्यता है। इसलिए बैंक केरल की क्षमताओं में निवेश कर रहा है ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था किसी भी आपदा का जवाब देने में सक्षम हो और महत्वपूर्ण रूप से, जितना संभव हो सके जीवन, संपत्ति और आजीविका के नुकसान को रोका जा सके।


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