जन भागीदारी, प्रौद्योगिकी से 125 करोड़ देशवासियों का सपना करें पूरा : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासनिक अधिकारियों से कार्यप्रणाली में बदलाव की अपील करते हुये आज कहा कि वे जन भागीदारी और प्रौद्योगिकी की मदद से सवा सौ करोड़ देशवासियों का सपना पूरा करें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासनिक अधिकारियों से कार्यप्रणाली में बदलाव की अपील करते हुये आज कहा कि वे जन भागीदारी और प्रौद्योगिकी की मदद से सवा सौ करोड़ देशवासियों का सपना पूरा करें।
श्री मोदी ने यहाँ 12वें लोक सेवा दिवस पर प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा “बदलती हुई प्रौद्योगिकी के साथ यदि हम सामांजस्य नहीं बिठा पायें तो दुनिया में पीछे रह जायेंगे। पिछले 40 साल में प्रौद्योगिकी ने जितना प्रभाव छोड़ा है उतना उससे पहले के 200 साल में नहीं छोड़ा था। प्रशासन में इसकी बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है।”
जन भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा “भारत जैसे सहभागिता पर आधारित लोकतंत्र वाले देश में सफलता के लिए जन भागीदारी जरूरी है।” उन्होंने कहा कि उसी व्यवस्था के बीच आपदा के समय हम उस स्थिति से इसलिए निकल पाते हैं क्योंकि हर कोई हमसे जुड़ जाता है। उन्होंने अधिकारियों से इस बात पर चिंतन करने के लिए कहा कि वे जन भागीदारी कैसे बढ़ा सकते हैं।
सरकार की प्राथमिकता वाली चार योजनाओं फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में अच्छा प्रदर्शन करने वाले 11 जिलों को प्रधानमंत्री ने पुरस्कृत किया। इसके अलावा नवाचार की श्रेणी में टीम जीएसटी समेत जिलों तथा केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों को चार पुरस्कार दिये गये।
पुरस्कार प्रदान करने के बाद श्री मोदी ने अधिकारियों से कहा कि वर्ष 2022 में देश की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ है। इससे बड़ा कोई मुकाम, कोई प्रेरणा स्रोत नहीं हो सकता। भविष्य की पीढ़ियों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है और पाँच साल में हम देश को बहुत कुछ दे सकते हैं।
उन्होंने अधिकारियों से नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने की अपील करते हुये कहा कि हमारे काम करने की एक प्रणाली है, लेकिन इसके बीच नवाचार होना चाहिये, निर्णय प्रक्रिया में तेजी आनी चाहिये। उपलब्ध प्रौद्योगिकी का क्षमता विकास और पहुँच बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाना चाहिये। इक्कीसवीं सदी के दो दशक बीत चुके हैं। हमें सोचना चाहिये कि हमने अपने काम करने के तरीके और व्यवस्था में बदलाव किया है या नहीं।


